नेताजी सुभाष चंद्र बोस और पराक्रम दिवस का महत्व
हर साल 23 जनवरी को भारत के वीर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जाती है। इस दिन को 2021 से ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। नेताजी न केवल एक क्रांतिकारी थे, बल्कि उनके साहस, त्याग और दूरदृष्टि ने स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा दी। उनका प्रसिद्ध नारा, ‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा’, हर भारतीय के दिल में आज भी गूंजता है।
सुभाष चंद्र बोस: बचपन और शिक्षा
नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ। वह एक पढ़े-लिखे और प्रतिभाशाली युवा थे। कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद, उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा पास की। लेकिन देश की स्वतंत्रता के प्रति अपने कर्तव्य को समझते हुए, उन्होंने इस सम्मानजनक नौकरी को त्याग दिया।
नेताजी का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
सुभाष चंद्र बोस का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ गहरा संबंध था, लेकिन उनकी क्रांतिकारी सोच के चलते उनका झुकाव महात्मा गांधी से अलग था। उन्होंने मान लिया था कि सिर्फ अहिंसा से आजादी नहीं मिल सकती। 1939 में उन्होंने ‘फॉरवर्ड ब्लॉक’ नामक पार्टी की स्थापना की। इसके बाद उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया, जिसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था।
नेताजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को वैश्विक मंच पर पहुंचाया। उन्होंने जापान और जर्मनी जैसे देशों से समर्थन प्राप्त कर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उनकी ‘आजाद हिंद फौज’ ने अंग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ी और आजादी के लिए कई अहम लड़ाइयाँ लड़ीं।
‘पराक्रम दिवस’ का महत्व
2021 में भारत सरकार ने नेताजी की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इस दिन को नेताजी के अदम्य साहस, बलिदान और राष्ट्रभक्ति की याद में समर्पित किया गया है। यह दिन हमें सिखाता है कि विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानते हुए लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। नेताजी ने यह साबित किया कि दृढ़ संकल्प और पराक्रम से असंभव को भी संभव किया जा सकता है।
नेताजी से आज की पीढ़ी को प्रेरणा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन आज की पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। उनकी कड़ी मेहनत, अनुशासन और मातृभूमि के प्रति समर्पण हमें यह सिखाता है कि हम अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं। उनका दृष्टिकोण हमें सिखाता है कि चाहे राह कितनी भी कठिन क्यों न हो, अगर हम अपने उद्देश्य के प्रति समर्पित हैं, तो सफलता निश्चित है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अपने जीवन और कार्यों से भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। ‘पराक्रम दिवस’ उनके साहस और बलिदान को सलाम करने का एक मौका है। आज का दिन हमें याद दिलाता है कि अगर हम में आत्मविश्वास और देशभक्ति है, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेते हुए, हमें अपने देश के विकास और समृद्धि के लिए काम करना चाहिए।