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UP: भाजपा मुरादाबाद मंडल में दोहराएगी 2014 का इतिहास? 2019 में बसपा-सपा ने कर दिया था सूपड़ा साफ; ये थे समीकरण

UP: भाजपा मुरादाबाद मंडल में दोहराएगी 2014 का इतिहास? 2019 में बसपा-सपा ने कर दिया था सूपड़ा साफ; ये थे समीकरण

UP: मुरादाबाद मंडल: 2024 में होगा सिंहासन का असली खेल?

उत्तर प्रदेश का मुरादाबाद मंडल राजनीतिक दलों के लिए हमेशा से अहम रणभूमि रहा है। छह लोकसभा सीटों वाला ये मंडल 2024 के चुनावों में भी हाई-प्रोफाइल टक्कर का गवाह बनेगा। 2014 में भाजपा की जबरदस्त जीत के बाद 2019 में बसपा-सपा के गठबंधन ने पलटवार कर सूपड़ा साफ कर दिया था। अब सवाल ये है कि 2024 में कौन शहंशाह बनेगा?

जातिगत समीकरणों का असली खेल:

मुरादाबाद मंडल में मुस्लिम समुदाय (28%) सबसे बड़ा वोट बैंक है। इसके बाद यादव (14%), ठाकुर (10%), दलित (12%) और जाट (8%) निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भाजपा 2014 में गैर-यादव ओबीसी और ठाकुरों के समर्थन से जीती थी, जबकि 2019 में मुस्लिम-यादव वोट बैंक के एकजुट होने से हार गई थी।

2024 में नया समीकरण?:

भाजपा का दांव: रालोद के जयंत चौधरी से गठबंधन कर जाट वोट बैंक को मजबूत करना और पसमांदा मुस्लिमों को साधना। साथ ही, राष्ट्रवाद का मुद्दा उठाकर हिंदू वोट बैंक को एकजुट रखना।
बसपा-सपा की रणनीति: गठबंधन पक्का करके मुस्लिम-यादव वोट बैंक को बरकरार रखना। दलित और ओबीसी वोटों को भी आकर्षित करने की कोशिश।

कांग्रेस की उम्मीद: प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में युवाओं और महिलाओं को लुभाना। हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण से हटकर विकास और रोजगार पर फोकस।

अन्य अहम पहलू:

पिछले कुछ महीनों में मुरादाबाद में कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठे हैं, जिसका फायदा कोई भी दल उठा सकता है।
भाजपा सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाएं ग्रामीण मतदाताओं को प्रभावित कर सकती हैं।
बेरोजगारी और महंगाई मुख्य मुद्दे बनकर सामने आ सकते हैं।

कौन मारेगा बाजी?

2024 का चुनाव मुरादाबाद मंडल में त्रिकोणीय मुकाबला होने की ओर इशारा करता है। जमीनी राजनीति, जातिगत गठजोड़ और राष्ट्रीय मुद्दों का मिश्रण ही तय करेगा कि राजनीतिक सिंहासन पर कौन विराजमान होगा।

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