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‘हिंदू राष्ट्र तो बना है, बस हमें पहचानना है’, यूपी में बोले RSS चीफ मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत पहले से ही हिंदू राष्ट्र है। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए कुछ नया नहीं करना है, बस इसे पहचानना है।

भागवत ने कहा कि भारत की संस्कृति और सभ्यता हिंदू संस्कृति और सभ्यता है। भारत में हिंदू धर्म के सभी संप्रदायों को सम्मान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत एक सनातन राष्ट्र है और यहां सभी धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं।

भागवत ने युवाओं से कहा कि वे देश की सेवा करें और देश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि युवाओं के पास देश को बदलने की क्षमता है।

भागवत के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में हलचल हो गई है। कुछ लोगों का कहना है कि यह बयान सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे सकता है, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि यह बयान भारत की एकता और अखंडता को मजबूत करने वाला है।

हिंदू राष्ट्र की परिभाषा

हिंदू राष्ट्र की परिभाषा एक विवादास्पद विषय है। कुछ लोग मानते हैं कि हिंदू राष्ट्र एक ऐसा राष्ट्र है जहां हिंदू धर्म प्रमुख धर्म है और हिंदू धर्म के मूल्यों को कानून और समाज में प्राथमिकता दी जाती है। अन्य लोग मानते हैं कि हिंदू राष्ट्र एक ऐसा राष्ट्र है जहां सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार और सम्मान दिया जाता है।

भारत में हिंदू राष्ट्र की अवधारणा का समर्थन करने वाले कई राजनीतिक दल हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (राजद) शामिल हैं।

हिंदू राष्ट्र की चुनौतियां

हिंदू राष्ट्र की अवधारणा कई चुनौतियों का सामना करती है। इनमें शामिल हैं:

  • सांप्रदायिकता: हिंदू राष्ट्र की अवधारणा सांप्रदायिकता को बढ़ावा दे सकती है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को खतरे में डाल सकती है।
  • अधर्म: हिंदू राष्ट्र की अवधारणा धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन कर सकती है।
  • असमानता: हिंदू राष्ट्र की अवधारणा सामाजिक और आर्थिक असमानता को बढ़ावा दे सकती है।

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