अंतरिम बजट 2024 पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल को “हर मोर्चे पर शानदार प्रदर्शन” बताया।
दशक भर शासन कर चुकी मोदी सरकार के कार्यकाल का आकलन करना जटिल है। उपलब्धियों के साथ चुनौतियां भी रही हैं। यहां सरकार के पक्ष में उठाए जाने वाले कुछ प्रमुख तर्क विस्तार से प्रस्तुत हैं:
आर्थिक विकास:
- तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था: 2014 से भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक रही है। जीडीपी 1.76 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 3.5 ट्रिलियन डॉलर हो गई है, वैश्विक स्तर पर छठा स्थान ग्रहण किया है।
- FDI और स्टार्टअप बूम: विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) 2014 के 36 बिलियन डॉलर से 2023 में 83 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के चलते भारत में यूनिकॉर्न की संख्या 100 से अधिक हो गई है।
- वित्तीय समावेशीकरण: जनधन योजना के तहत करोड़ों बैंक खाते खोले गए, डिजिटल लेनदेन में 250 गुना वृद्धि हुई।
- आधार का बहुआयामी उपयोग: आधार पहचान के आधार पर सब्सिडी वितरण में पारदर्शिता, Direct Benefit Transfer (DBT) के जरिए लीकेज कम हुआ।
सामाजिक विकास:
- स्वच्छ भारत अभियान: खुले में शौच की प्रथा में भारी कमी, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लाखों शौचालयों का निर्माण हुआ।
- प्रधानमंत्री आवास योजनाएं: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में करोड़ों लोगों को किफायती आवास उपलब्ध कराया गया।
- उज्ज्वला योजना: करोड़ों गरीब परिवारों को रसोई गैस कनेक्शन, स्वास्थ्य और पर्यावरण को लाभ हुआ।
- आयुष्मान भारत: गरीब और कमजोर वर्गों को पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा।
अन्य क्षेत्रों में उपलब्धियां:
- डिजिटल इंडिया अभियान: इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में भारी वृद्धि, सरकारी सेवाओं तक डिजिटल पहुंच बढ़ी।
- मेक इन इंडिया: विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए पहल, निर्यात वृद्धि और रोजगार सृजन।
- कुशल भारत मिशन: कौशल विकास पर जोर, युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर।
- विदेश नीति: वैश्विक मंच पर भारत की सक्रिय भागीदारी, रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई।
- कोविड-19 प्रबंधन: बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान, आर्थिक राहत पैकेज।
चुनौतियां और आलोचनाएं:
- बेरोजगारी: बेरोजगारी दर में वृद्धि, रोजगार सृजन की चुनौती।
- कृषि क्षेत्र की समस्याएं: किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ, कृषि बाजार सुधारों की जरूरत।
- महंगाई: खाद्य पदार्थों और ईंधन की कीमतों में वृद्धि, गरीबों पर बोझ बढ़ा।
- सामाजिक असमानता: आर्थिक असमानता कम करने में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई।
- अल्पसंख्यक समुदायों की चिंताएं: सामाजिक सद्भाव में कमी, अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा की चिंता।