कारसेवकों की रक्षा में शहीद हुए 16 साल के राम चन्दर यादव
1990 में अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान कई घटनाएं घटीं, जिनमें अनेक लोगों ने अपनी जान दी। इस संघर्ष में एक नाम है 16 वर्षीय राम चन्दर यादव का, जो अपने बलिदान के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। राम चन्दर ने कारसेवकों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, लेकिन उनकी शहादत एक काला अध्याय बन गई, जब मुलायम सिंह यादव की सरकार ने पुलिस को आदेश दिए।
राम चन्दर का जीवन
राम चन्दर यादव बस्ती जिले के गाँव बरसाँव टेढ़वा के निवासी थे। वे पांच भाइयों में तीसरे नंबर पर थे। 22 अक्टूबर 1990 को जब राम चन्दर ने अपने प्राणों की आहुति दी, तब उनकी उम्र केवल 16 साल थी।
उनकी शादी नहीं हुई थी और वे अपने परिवार का सहारा बनने की कोशिश कर रहे थे। राम चन्दर के घर की स्थिति बेहद दयनीय थी। उनका परिवार खेती-किसानी कर के जीवन यापन करता था, लेकिन आर्थिक तंगी ने उन्हें बहुत प्रभावित किया था।
आंदोलन का समय
अयोध्या में राम मंदिर के लिए चल रहे आंदोलन का माहौल उस समय बहुत गर्म था। हजारों कारसेवक राम जन्मभूमि के लिए जुट रहे थे। लेकिन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने इस आंदोलन को कुचलने के लिए सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया। 22 अक्टूबर 1990 को जब पुलिस को जानकारी मिली कि सांडपुर गाँव में कारसेवक एकत्र हुए हैं, तो पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की।
पुलिस ने चलाई गोलियां
जब पुलिस गाँव पहुँची, तो वहाँ स्थानीय लोग और राम भक्त एकत्र होकर विरोध करने लगे। विरोध के दौरान पुलिस ने बिना सोचे-समझे गोलीबारी शुरू कर दी। इसी दौरान राम चन्दर यादव को पुलिस की गोली लगी और वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया।
परिवार का दुःख
राम चन्दर यादव का परिवार इस दुःख को सहन नहीं कर पाया। उनके बड़े भाई रामनाथ यादव ने बताया कि राम चन्दर ने अपने परिवार को संभालने की पूरी कोशिश की, लेकिन पुलिस की गोलीबारी ने सब कुछ खत्म कर दिया। उनके पिता, राम नारायण यादव, बेटे के गम में कुछ समय बाद चल बसे और उनकी माता भी इस सदमे को सहन नहीं कर सकीं।
बलिदान की अनदेखी
राम चन्दर यादव जैसे युवा बलिदानियों की शहादत केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उनके परिवारों की भी कहानी है। आज जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, हमें उन सभी बलिदानियों को याद करना चाहिए जिन्होंने अपनी जान देकर हमें यह अवसर दिया।
समर्पण और श्रद्धांजलि
हमेशा याद रखा जाएगा कि राम चन्दर यादव ने अपने जीवन की बलिदान देकर कारसेवकों की रक्षा की। उनकी शहादत हमें यह सिखाती है कि हमें अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना चाहिए, चाहे वह कितना भी कठिन हो।
आज, जब हम राम मंदिर का निर्माण देख रहे हैं, यह उनके बलिदान को श्रद्धांजलि देने का समय है। राम चन्दर यादव जैसे युवा बलिदानियों के लिए हमारा श्रद्धांजलि अर्पित करना आवश्यक है। उनके अदम्य साहस और बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाना चाहिए।