नरेंद्र मोदी के बाद की राजनीति; RSS को योगी आदित्यनाथ में नजर आने लगा 'भविष्य'

नरेंद्र मोदी के बाद की राजनीति; RSS को योगी आदित्यनाथ में नजर आने लगा ‘भविष्य’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कई चुनावों में बड़ी सफलताएं अर्जित की हैं। लेकिन जैसे-जैसे भविष्य की राजनीति पर विचार होता है, एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है – नरेंद्र मोदी के बाद कौन? इस संदर्भ में, RSS, जो भाजपा की वैचारिक और मार्गदर्शक संस्था है, ने भविष्य के नेता के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर देखा है।

यूपी में बीजेपी और योगी का बढ़ता प्रभाव

उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य में योगी आदित्यनाथ का नेतृत्व काफी मजबूत साबित हुआ है। हालाँकि, लोकसभा चुनावों के बाद यूपी में बीजेपी को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे प्रदेश भाजपा में असंतोष का माहौल बन गया।

कई बार ऐसा महसूस हुआ कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने सीएम योगी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। इसके बावजूद, योगी आदित्यनाथ ने अपनी कुशल रणनीति से खुद को एक मजबूत नेता के रूप में स्थापित किया।

मथुरा में RSS की बैठक और योगी की भूमिका

हाल ही में मथुरा में हुई आरएसएस की दो दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति ने सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया। इस बैठक में उन्होंने संघ के शीर्ष नेताओं के साथ गहराई से चर्चा की और कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी रखे।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, योगी ने कर्नाटक के प्रमुख ओबीसी समुदाय जैसे लिंगायत और कुछ आदिवासी समुदायों को कुंभ मेले में शामिल करने का सुझाव दिया। यह प्रयास हिंदू समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने और उनके बीच एकता बढ़ाने का महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

योगी को ‘भविष्य’ कहने का अर्थ

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में आरएसएस के वरिष्ठ नेता ने योगी को ‘भविष्य’ कहकर संबोधित किया। उनका कहना था कि “योगी जी संघ से नहीं हैं, लेकिन वे राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं। जो भी हमारी विचारधारा साझा करता है, वह हमारा है। पूरा देश उन्हें हिंदुत्व के प्रतीक के रूप में स्वीकार करता है और वह विचारधारा का भविष्य उनमें देखता है।

हम समाज के निर्णय पर सवाल उठाने वाले कौन हैं?” आरएसएस सूत्रों ने यह भी बताया कि यदि संघ संगठनात्मक ताकत का प्रतीक है, तो योगी आदित्यनाथ अपनी करिश्माई राजनीतिक नेतृत्व क्षमता से इसे और मजबूत करते हैं।

‘नारे बंटेंगे तो कटेंगे’ का महत्व

RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने मथुरा की बैठक में योगी आदित्यनाथ के नारे “बंटेंगे तो कटेंगे” को बोलकर संघ की मुहर लगा दी। इस नारे को संघ द्वारा महत्व दिए जाने से यह स्पष्ट होता है कि योगी को भविष्य के नेता के रूप में स्थापित करने में इस प्रकार की पहलें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

RSS और योगी आदित्यनाथ की केमिस्ट्री

योगी आदित्यनाथ आज भाजपा के सबसे प्रभावशाली और लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। उनकी कार्यशैली और नेतृत्व को देशभर में सराहा जाता है।

वे अक्सर प्रचार के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में बुलाए जाते हैं, जो उनकी लोकप्रियता और नेतृत्व कौशल का प्रमाण है। अब RSS ने भी उनके नेतृत्व और विचारधारा को समर्थन देना शुरू कर दिया है। यह इस बात का संकेत है कि भाजपा और संघ, योगी को नरेंद्र मोदी के बाद पार्टी के भविष्य के नेता के रूप में देख रहे हैं।

नरेंद्र मोदी के बाद की राजनीति में नए नेतृत्व की आवश्यकता स्वाभाविक है। RSS का योगी आदित्यनाथ में बढ़ता विश्वास यह संकेत देता है कि वे एक ऐसे नेता को तैयार कर रहे हैं, जो हिंदुत्व की विचारधारा को और आगे बढ़ा सके और देशभर में एकता को मजबूत कर सके। योगी आदित्यनाथ के प्रयास और उनके प्रति संघ का समर्थन स्पष्ट रूप से बताता है कि वे भविष्य में भाजपा के शीर्ष नेता के रूप में उभर सकते हैं।

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