महाकुंभ से अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार: भारत चार ट्रिलियन डॉलर की दहलीज पर
भारत की अर्थव्यवस्था लगातार तेज़ी से आगे बढ़ रही है, और तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद घरेलू माँग की मजबूती ने देश की विकास दर को ऊँचा बनाए रखा है। महाकुंभ के भव्य आयोजन, सार्वजनिक कंपनियों के पूँजीगत खर्च में बढ़ोतरी और निर्यात क्षेत्र में सुधार से यह रफ़्तार और तेज़ होने की उम्मीद है। आइए, विस्तार से समझते हैं कि कैसे इन सभी कारकों ने अर्थव्यवस्था को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाया है।
1. तीसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि
चालू वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 6.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी। यह वृद्धि चीन, अमेरिका, इंडोनेशिया, ब्राज़ील जैसे बड़े देशों की तुलना में अधिक है, जो बताती है कि भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी विकास दर को काफी बेहतर बनाए रखा है। इस दौरान, वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव और भू-राजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियाँ भी मौजूद थीं, लेकिन घरेलू मांग की मजबूती और सुधारों ने अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाए रखा।
2. महाकुंभ का व्यापक प्रभाव
एक बड़ा कारण, जिसकी ओर नीति-निर्माता और विशेषज्ञ ध्यान आकर्षित कर रहे हैं, वह है महाकुंभ का आयोजन। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान करोड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया, जिससे परिवहन, होटल, भोजन, पर्यटन और अन्य संबंधित क्षेत्रों में ज़बरदस्त गतिविधियाँ हुईं। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन के अनुसार, लगभग 50-60 करोड़ लोग इस आयोजन में शामिल हुए, जिससे चौथी तिमाही में खर्च में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखने को मिली। इसका सीधा असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि पर पड़ा है।
3. चौथी तिमाही में 7.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान
महाकुंभ के अलावा, सरकार और सार्वजनिक कंपनियों के बढ़ते पूँजीगत खर्च ने भी चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में अर्थव्यवस्था को गति देने में अहम भूमिका निभाई। पहले और दूसरे तिमाही में, चुनावी कारणों से सार्वजनिक खर्च में कमी देखी गई थी, लेकिन अब इसमें तेजी आई है। जनवरी तक ही पूँजीगत व्यय के 75 प्रतिशत हिस्से का उपयोग किया जा चुका था, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद कर रहा है।
इसके अलावा, गैर-पेट्रोलियम तथा गैर-जेम्स और ज्वैलरी निर्यात में लगभग 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो विदेशी मुद्रा अर्जित करने और व्यापार संतुलन को बेहतर करने में सहयोग कर रहा है। इन सभी सकारात्मक संकेतों के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि चौथी तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत तक पहुँच सकती है।
4. पूरे वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत विकास दर की उम्मीद
अगर चौथी तिमाही में यह रफ्तार बनी रहती है, तो चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी विकास दर औसतन 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। यह विकास दर भारत को दुनिया के तेज़ी से उभरते हुए बाजारों में और भी आगे ले जाएगी। लगातार सुधारों, आत्मनिर्भर भारत पहल, मेक इन इंडिया अभियान और मजबूत घरेलू उपभोग ने इस विकास में योगदान दिया है।
5. चार ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसी विकास दर के साथ मार्च के अंत तक भारत की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग चार ट्रिलियन डॉलर के आसपास पहुँचने की संभावना जताई जा रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार का मानना है कि चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक भारतीय अर्थव्यवस्था 3.92 ट्रिलियन डॉलर के स्तर पर होगी और हम चार ट्रिलियन डॉलर की दहलीज छूने में सफल रहेंगे। यह उपलब्धि भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में और मज़बूत स्थान देगी।
6. आगे की राह
गाँव और शहरों दोनों में खपत (Consumption) बढ़ रही है, जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। इस वजह से मांग में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है, जिससे उत्पादन और रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। हालाँकि, वैश्विक बाज़ार में अनिश्चितताएँ अभी भी बनी हुई हैं, लेकिन भारत ने जिस तरह इन चुनौतियों का सामना किया है, वह देश के आर्थिक स्वास्थ्य को दर्शाता है।
निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे नीतिगत सुधारों और बुनियादी ढाँचे (Infrastructure) में होने वाले बड़े निवेशों से आने वाले समय में और अधिक सकारात्मक नतीजे मिलने की उम्मीद है।
भारत की अर्थव्यवस्था, घरेलू माँग, सरकारी खर्च और निर्यात के बेहतर आँकड़ों के दम पर तेज़ी से आगे बढ़ रही है। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों का भी सकारात्मक आर्थिक प्रभाव दिख रहा है, जिसने पर्यटन और सेवा क्षेत्रों में नया उत्साह भरा है। यदि सब कुछ योजनाबद्ध ढंग से चलता रहा, तो यह वित्त वर्ष भारत के लिए यादगार साबित होगा। चार ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता भारत न केवल अपनी स्थिति मज़बूत कर रहा है, बल्कि विश्व मंच पर भी अपनी आर्थिक क्षमता का परिचय दे रहा है।