हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आज घोषित हो रहे हैं, और बीजेपी ने तमाम अनुमान और एग्जिट पोल्स को गलत साबित करते हुए पूर्ण बहुमत की ओर कदम बढ़ा लिए हैं। 90 सदस्यीय विधानसभा में जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर थी, वहीं कांग्रेस को उम्मीद थी कि किसान आंदोलन के बाद जाट समुदाय की नाराजगी का फायदा उसे मिलेगा। लेकिन ऐसा होता नहीं दिखा, और बीजेपी ने बाजी अपने पक्ष में कर ली। सवाल यह उठता है कि बीजेपी ने यह जीत कैसे हासिल की?
जातीय समीकरणों का खेल हरियाणा की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं। कांग्रेस इस बार मुख्य रूप से जाट वोट बैंक पर निर्भर दिखी, जो राज्य की जनसंख्या का लगभग 22% है। इसके साथ ही, कांग्रेस की नजर दलित और अल्पसंख्यक समुदायों पर भी थी, जिनका कुल प्रतिशत लगभग 21% है। जाटों की बीजेपी से नाराजगी का भी कांग्रेस को फायदा होने की उम्मीद थी, लेकिन बीजेपी ने गैर-जाट और ओबीसी समुदायों को एकजुट कर पूरा चुनावी समीकरण बदल दिया।
बीजेपी की रणनीति बीजेपी ने अपने परंपरागत सवर्ण वोट बैंक के साथ ओबीसी वोटरों को जोड़ने पर जोर दिया। हरियाणा में ओबीसी आबादी करीब 35% है, और बीजेपी ने इन्हीं मतदाताओं को साथ लाने की कोशिश की। इसके साथ ही अनुसूचित जाति तक पहुंचने के लिए कई अभियान चलाए गए, जिससे कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ। बीजेपी ने अपनी इस रणनीति के जरिए कांग्रेस के जातिगत समीकरणों को कमजोर कर दिया।
छोटे दलों की भूमिका हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के अलावा कुछ अन्य गठबंधन भी मैदान में थे। इनेलो-बसपा और जेजेपी-असपा के गठबंधन प्रमुख तौर पर जाट और दलित वोटरों पर निर्भर थे। लेकिन ये गठबंधन बहुत प्रभावी साबित नहीं हो सके और करीबी मुकाबलों वाली सीटों पर कांग्रेस के लिए ही नुकसानदायक साबित हुए। इसका सीधा फायदा बीजेपी को हुआ, जिससे वह बहुमत की ओर बढ़ती गई।
बीजेपी की बढ़त हरियाणा में सरकार बनाने के लिए 45 सीटों की जरूरत होती है, और बीजेपी ने 49 सीटों पर बढ़त बना ली है। कांग्रेस 35 सीटों पर सिमट गई, जबकि बहुमत से 10 सीटें दूर रह गई है। जेजेपी, जिसने पिछले चुनाव में 10 सीटें जीती थीं, इस बार शून्य पर आ गई है। वहीं, आम आदमी पार्टी भी हरियाणा में कोई सीट नहीं जीत पाई है। निर्दलीय उम्मीदवारों ने चार सीटों पर बढ़त बनाई है, जबकि इनेलो और बसपा ने एक-एक सीट पर बढ़त बना रखी है।
बीजेपी की जीत इस बार स्पष्ट दिख रही है, और कांग्रेस की उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है।