Haryana Election Result: 4 महीने, 16000 सभाएं, कैसे हरियाणा में RSS ने बदल दिया पूरा गेम और बीजेपी ने पलट दी हाथ से निकली बाजी?

Haryana Election Result: 4 महीने, 16000 सभाएं, कैसे हरियाणा में RSS ने बदल दिया पूरा गेम और बीजेपी ने रचा इतिहास

Haryana Election Result: हरियाणा चुनाव 2024 का परिणाम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए ऐतिहासिक साबित हो रहा है। इस बार बीजेपी ने राज्य में अपनी रणनीति से न केवल विपक्षी दलों को मात दी बल्कि आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के संगठनात्मक समर्थन और 16,000 से अधिक सभाओं ने खेल पूरी तरह से बदल दिया। आइए जानते हैं कि कैसे आरएसएस और बीजेपी ने हरियाणा में एक बार फिर से बाज़ी पलटी और सत्ता में वापसी की।

आरएसएस की सक्रिय भूमिका

इस चुनाव में आरएसएस ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चुनाव से चार महीने पहले ही संघ ने राज्य में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। 16,000 से अधिक सभाएं आयोजित की गईं, जिसमें से अधिकांश ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में थीं।

आरएसएस ने सामाजिक और धार्मिक संगठनों के माध्यम से जनता को जोड़ने और बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया। उनके कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों को बीजेपी की नीतियों और विकास कार्यों से अवगत कराया। इससे पार्टी के प्रति समर्थन में बढ़ोतरी देखने को मिली।आरएसएस उन तमाम सीटों का दौरा किया, जहां बीजेपी कमजोर नजर आ रही थी।

विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और आरएसएस के बीच कई बैठकें भी हुई थीं, जिसमें उम्मीदवारों के चयन से लेकर बूथ स्तर के प्रबंधन पर चर्चा हुई थी. आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार (5 अक्टूबर 2024) को हिंदू समाज से एकजुट होकर आपस में मतभेद और विवाद मिटाने का आह्वान किया था. उन्होंने कहा था कि हिंदू समाज को भाषा, जाति और प्रांत के मतभेद और विवाद मिटाकर अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट होना होगा।

गौरतलब है कि आरएसएस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी थी। एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र, गृह मंत्री अमित शाह से लेकर बीजेपी के तमाम दिग्गज ताबड़तोड़ रैली कर लोगों को संबोधित कर रहे थे तो वहीं आरएसएस जमीनी स्तर पर काम कर रही थी।

जातिगत समीकरण और बीजेपी की रणनीति

हरियाणा के जातिगत समीकरणों को समझते हुए बीजेपी ने ओबीसी और अन्य गैर-जाट समुदायों को एकजुट किया। हरियाणा की राजनीति में जाट समुदाय का प्रमुख स्थान है, लेकिन बीजेपी ने इस चुनाव में अपने पारंपरिक सवर्ण वोटबैंक के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को भी साथ लिया। करीब 35% ओबीसी मतदाताओं को साधकर, बीजेपी ने कांग्रेस के जाट-दलित समीकरण को चुनौती दी।

मोदी सरकार की नीतियों का असर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की नीतियां भी इस जीत का महत्वपूर्ण कारण रही हैं। केंद्र सरकार की योजनाएं जैसे आयुष्मान भारत, उज्ज्वला योजना, जन धन योजना, और किसान सम्मान निधि ने सीधे तौर पर ग्रामीण और गरीब मतदाताओं को प्रभावित किया। बीजेपी ने इन योजनाओं का प्रचार करते हुए कहा कि पार्टी की सरकार ने हरियाणा के हर नागरिक तक विकास पहुंचाने का काम किया है।

विपक्ष की कमजोरियां और आंतरिक कलह

कांग्रेस के आंतरिक विवाद और कमजोर संगठन ने भी बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई। कांग्रेस के नेताओं के बीच तालमेल की कमी और नेतृत्व के सवालों ने मतदाताओं को कन्फ्यूज किया। इसके अलावा, इनेलो और जेजेपी जैसे क्षेत्रीय दल भी कोई खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए। इन दलों के कमजोर प्रदर्शन से कांग्रेस को नुकसान हुआ, जबकि बीजेपी इसका फायदा उठाने में कामयाब रही।

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