पहाड़ों की रानी नैनीताल में गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की गूंज
नैनीताल, 13 मार्च 2024: रविवार सवेरे, पर्यटन स्थल नैनीताल के खूबसूरत तल्लीताल स्थित पुराने बस स्टॉप पर एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। यहां गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग को लेकर गौ प्रेमियों ने एक शांतिपूर्ण धरना दिया।
धर्मगुरुओं के मार्गदर्शन में हुआ धरना
यह धरना श्री संक्राचार्य परंपरा और पूज्य संत गोपाल मणि महाराज के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था। धरने में शामिल लोगों ने गायों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए नारे लगाए और भारत सरकार से गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने का आग्रह किया।
गाय: भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था की रीढ़
धरने के आयोजक, भारतीय गौ क्रांति मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान रमाकांत शर्मा ने कहा, “गाय सदियों से हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा रही है। वे हमें दूध, दही, घी और गोबर जैसी अनेक उपयोगी वस्तुएं प्रदान करती हैं। गायों का धार्मिक महत्व भी है और उन्हें हिंदू धर्म में माता का दर्जा दिया जाता है।”
उन्होंने आगे कहा, “हम माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह करते हैं कि वे गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा घोषित करें। यह कदम न केवल गौ माता के प्रति सम्मान व्यक्त करेगा, बल्कि पूरे देश में गौवंश संरक्षण को भी बढ़ावा देगा।”
गौ रक्षा की मांग और कड़े कानून की पुकार
धरने में शामिल अन्य लोगों ने भी गायों के महत्व पर प्रकाश डाला और सरकार से उनकी रक्षा के लिए कड़े कानून बनाने की मांग की। उनका मानना है कि गायों को काटने पर रोक लगनी चाहिए और गोवंश से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
यह धरना पूरे दिन जारी रहा और शाम को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त हुआ। गौ प्रेमियों ने उम्मीद जताई कि सरकार उनकी मांगों पर विचार करेगी और गायों को राष्ट्रीय सम्मान देगी।
धरने के मुख्य बिंदु
- गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा दिया जाए।
- गौवंश संरक्षण के लिए कड़े कानून बनाए जाएं।
- गायों को काटने पर रोक लगाई जाए।
- गोवंश से जुड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया जाए।
धरने का महत्व
यह धरना गौ माता के प्रति लोगों की श्रद्धा और गौवंश संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह सरकार का ध्यान गायों की दयनीय स्थिति और उनकी रक्षा की आवश्यकता पर भी आकर्षित कर सकता है।
निष्कर्ष
नैनीताल में आयोजित यह धरना गौ माता को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मांग को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आशा की जाती है कि सरकार इस मांग पर गंभीरता से विचार करेगी और गायों को वो सम्मान देगी जिसकी वे हकदार हैं।