भारत में हजारों वर्षों से कई ऐसे राजा हुए हैं जिन्होंने न केवल भारत में शासन किया बल्कि इनका विस्तार विश्व के कई देशों तक रहा है. इन महान राजाओं में उत्तर में सिन्धु के राजा पोरस से लेकर महान सम्राट अशोक और दिल्ली के सम्राट पृथ्वी राज चौहान, महाराणा प्रताप, शिवाजी और भारत के अंतिम हिन्दू राजा हेमू तक शामिल हैं.
आइये जानें भारत के कुछ ऐसे ही महान राजाओं और उनके यश के बारे में
1. राजा पोरस
सिन्धु के राजा पोरस वो महान हिन्दू राजा हैं जिनके समय में सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था, और राजा पोरस से वो इतना प्रभावित हुआ कि उसने उनका राज्य उनको लौटा दिया.
राजा पोरस का राज्य सिन्धु नदी से लेकर चेनाब नदी तक विस्तृत था. असाधारण वीरता और कौशल के धनी और महान योद्धा होने का श्रेय, सिकंदर महान ने भी पोरस को दिया. पोरस और सिकंदर के बीच हाइडेस्पेस का युद्ध (326 ईसा पूर्व) हुआ था. कथित तौर पर राजा पोरस की मृत्यु 321 से 315 ईसा पूर्व के बीच हुई थी.
2. चन्द्र गुप्त मौर्य
चन्द्रगुप्त मौर्य वो महान राजा था जिसने अपनी 6 लाख की सेना से भारत के सबसे प्रतापी राजवंशों में से एक नंद वंश को एक विशाल युद्ध में हराया था और उसके बाद लम्बे समय तक प्राचीन भारत के सबसे बड़े राज्य मगध पर शासन किया था. मुद्राराक्षस के अनुसार, चन्द्रगुप्त ने हिमालय प्रदेश के राजा पर्वतक से सन्धि की इनकी सेना में शक, यवन, किरात, कम्बोज, पारसीक तथा वह्लीक भी थे.
3. अशोक महान
अशोक को भारत के सबसे महान राजाओं में से एक माना जाता है, भारत ने अपने राष्ट्रिय चिन्ह अशोक चक्र और सिंह की ललाट को अशोक के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए अपनाया है. कहते हैं सम्राट अशोक का राज्य न केवल उत्तर में हिंद्कुश से लेकर दक्षिण में गोदावरी तक बल्कि वर्तमान बांग्लादेश, अफगानिस्तान और ईरान तक विस्तृत था, अर्थात सम्राट अशोक का साम्राज्य अखंड भारत तक विस्तृत था.
तमाम इतिहासकारों के अनुसार, अशोक ने कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म अपना लिया था. कलिंग युद्ध में लगभग 1 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी. अशोक के काल के दौरान भारत का व्यापार भी विश्व स्तरीय था.
4. पृथ्वी राज चौहान
पृथ्वी राज चौहान भारत के प्रसिद्ध चौहान वंश के हिंदू क्षत्रिय राजा थे. इन्होने अजमेर और दिल्ली पर शासन किया. इनके शासन काल के दौरान ही सर्वप्रथम अरब शासकों का भारत पर हमला हुआ था. कहते हैं पृथ्वी राज चौहान इतने अधिक वीर थे कि ये अँधेरे में भी दुश्मन पर सही निशाना लगा लेते थे.
पृथ्वीराज चौहान ने किला राय पिथौरा का निर्माण करवाया था. उन्होंने 13 साल की उम्र में ही गुजरात के पराक्रमी राजा भीमदेव को युद्ध में हरा दिया था. ये 6 भाषाएं जानते थे. कहते हैं इन्होने मुहम्मद गौरी को युद्ध में 17 बार पराजित किया था. पृथ्वी राज चौहान के बचपन के मित्र और उनके दरबारी चंदबरदाई एक कवि और लेखक थे इन्होने अपनी पुस्तक पृथ्वीराज रासों में लिखा है कि मुस्लिम शासक सुल्तान मुहम्मद शहाबुद्दीन गौरी ने की बार पृथ्वी राज चौहान को हराने का प्रयास किया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली. और पृथ्वी राज ने इन्हें कई बार माफ़ किया.
1191 में प्रथम तराइन युद्ध में पृथ्वी राज ने गौरी को बुरी तरह परास्त कर दिया लेकिन वर्ष 1192 में हुए दुसरे तराइन युद्ध में गौरी ने कनौज के राजा जयचन्द्र के साथ मिलकर पृथ्वी राज और उनके मित्र चंदबरदाई को बंदी बना कर उनकी हत्या कर दी.
5. महाराणा प्रताप
महाराणा प्रताप मेवाड़ के सिसोदिया वंश के राज कुंमार थे. इनके पिता का नाम महाराणा उदय सिंह और माँ का नाम जयवंत कँवर था. प्रताप के शासन काल के दौरान दिल्ली पर मुग़ल बादशाह अकबर का शासन था, अकबर ने प्रताप को अपनी अधीनता स्वीकारने के लिए कहा लेकिन 30 वर्षों के लगातार प्रयास के बावजूद प्रताप ने ऐसा नहीं किया जिसके बाद अकबर की सेना ने उनपर हमला कर दिया. प्रताप ने कई वर्षों तक मुग़ल सेना से युद्ध किया.
अकबर और महाराणा प्रताप के बीच ये भयंकर युद्ध हल्दीघाटी के मैदान में लड़ा गया था. इस युद्ध में लाखों की संख्या में सैनिक मारे गए थे. महाराणा के पास उनका सर्वश्रेष्ठ घोडा चेतक था. कहते हैं महाराणा 72 किलो का कवच और 81 किलो का भाला पहनते थे.
6. शिवाजी
शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था. इनका पालन पोषण इनके स्थानीय संरक्षक दादाजी कोंडदेव, जीजाबाई तथा समर्थ गुरु रामदास की देखरेख में हुआ. इनके जीवन काल के दौरान उत्तरी भारत में मुग़लों तथा दक्षिण में बीजापुर और गोलकुंडा में मुस्लिम सुल्तानों का शासन था और ये सभी अपनी शक्ति बढ़ाने और राज्य विस्तार का निरंतर प्रयास कर रहे थे.
शिवाजी पर मुस्लिम विरोधी होने का दोष देना उचित नहीं होगा क्योंकि उनकी सेना में कई मुस्लिम योद्धा भी थे. शिवाजी की बढती शक्ति से चिंतित हो कर तत्कालीन मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने अपने दक्षिण के सूबेदारों से उन पर चढ़ाई करवा दी. लेकिन सूबेदार को इस युद्ध में हार का सामना करना पडा. हालांकि शिवाजी ने भी इस युद्ध में अपने पुत्र को खो दिया था. शिवाजी अपने युद्धों में छापामार प्रणाली और गुरिल्ला युद्ध करते थे जिसके कारण उनको पराजित करना संभव नहीं था.
7. बप्पा रावल
बप्पा रावल, जिनका असली नाम कालभोज था, 8वीं सदी के प्रसिद्ध मेवाड़ शासक और गुहिल वंश के संस्थापक थे. उन्होंने मुस्लिम आक्रमणकारियों को पराजित किया और उन्हें अफगानिस्तान तक खदेड़ा. उन्होंने सिंध तक अरब आक्रमणकारियों का पीछा किया, जिससे वे अगले 400 साल तक भारत में प्रवेश करने से डरते रहे. बप्पा रावल ने 100 से अधिक शादियां कीं, जिनमें से 35 पत्नियां मुस्लिम थीं. उनके नाम पर पाकिस्तान में “रावलपिंडी” का नामकरण हुआ. उनके वंश में महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धा भी हुए.
बप्पा रावल की वीरता और शौर्य के किस्से आज भी राजस्थान के लोकगीतों और कथाओं में जीवित हैं. बप्पा रावल ने न केवल राज्य की सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि उन्होंने मेवाड़ को सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध किया. उनके जीवन और शासनकाल का अध्ययन मेवाड़ के इतिहास को समझने के लिए महत्वपूर्ण है.