कश्मीर में एक बार फिर कश्मीरी पंडित निशाने पर हैं. उन्हें उनकी ही जमीन से फिर बेदखल करने की घिनौनी साजिश रची जा रही है. कश्मीरी पंडितों के सुलगते घरों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सबसे बड़ा सवाल यह कि क्या घाटी में 90 के दशक की दहशत फिर लौट रही है? कश्मीरी पंडितों के घरों में आग क्यों लगाई जा रही है और इसके पीछे कौन है? आइये जानने की कोशिश करते हैं आखिर घाटी की फिजा में जहर घोलने की कोशिश कौन कर रहा है..
रात के अंधेरे में किसने लगाई आग?
दक्षिण कश्मीर (South Kashmir) के अनंतनाग जिले के मट्टन में भीषण आग लगने की घटना सामने आई है. इस हादसे में पंडित समुदाय के 4 आवासीय ढांचे क्षतिग्रस्त हो गए. यह घटना 28 और 29 की रात को हुई. संपत्तियां उन परिवारों की थीं, जो 90 के दशक की शुरुआत में पलायन कर गए थे और इसलिए उन्हें बंद कर दिया गया था.
कई घंटों की मेहनत के बाद बुझी आग
फायर ब्रिगेड के मौके पर पहुंचने के बाद कई घंटों की मशक्कत से आग पर काबू पाया जा सका. मकान लकड़ी का होने के कारण हल्की आग और धुआं घटना के दो दिन बाद मंगलवार को भी दिखता रहा. फायर ब्रिगेड अधिकारी निस्सार अहमद ने बताया कि रात को भयानक आग की सूचना मिलने पर दमकल की पांच गाड़ियां मौके पर भेजी गई. तीन-चार घंटे में आग पर काबू पा लिया गया.
पुलिस सूत्रों का कहना है कि मामले की जांच चल रही है. इलाके में बंकर के साथ चौबीस घंटे सुरक्षा तैनात है. हालांकि, तोड़फोड़ की संभावना से इनकार नहीं किया गया है, लेकिन सभी संभावित पहलुओं की जांच की जा रही है.
कौन रच रहा घिनौनी साजिश
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मामला दर्ज कर आग के कारणों की जांच शुरू कर दी है. कश्मीर से बाहर रहने वाले कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों का आरोप है कि आग कश्मीरी पंडित समुदाय को डराने और उन्हें घाटी में वापस आने से रोकने के लिए लगाई गई थी. राजनीतिक दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि वे मट्टन, अनंतनाग में कई घरों को नष्ट करने वाली दुखद आग के बाद कश्मीरी पंडित भाइयों के साथ एकजुट हैं.
कश्मीरी पंडितों के घर जलकर खाक
कश्मीर शारदा पीठ अवस्थापन के अध्यक्ष रविंद्र पंडिता ने कहा कि कश्मीर के मट्टन इलाके में कश्मीरी प्रवासों की संपत्तियों में हाल ही में आग लगने की घटना ने सभी को चौंका दिया है. जिले के डिप्टी कमिश्नर अल्पसंख्यक संपत्तियों के संरक्षक हैं और अल्पसंख्यक संपत्तियों को संरक्षित करने के लिए उचित कदम नहीं उठा रहे हैं.
कश्मीरी पंडित प्रवासों के चार घर जलकर खाक हो गए. हम सरकार से इन स्थलों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने का अनुरोध करते हैं. वहां कोई नहीं रहता था, इसलिए शॉर्ट सर्किट या गैस सिलेंडर विस्फोट आदि की कोई संभावना नहीं थी. यह स्पष्ट रूप से आग लगाने का मामला है और हमें जरूरी कदम उठाने की जरूरत है.