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लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न: बीजेपी को रसातल से शिखर पर पहुंचाने वाले नेता

लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न: बीजेपी को रसातल से शिखर पर पहुंचाने वाले नेता

एक शख्सियत जिसने इतिहास बदला: लालकृष्ण आडवाणी का नाम भारतीय राजनीति में एक ऐसे शख्स के रूप में लिया जाता है जिसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रसातल से उठाकर राष्ट्रीय राजनीति में एक प्रमुख ताकत के रूप में स्थापित किया। यह कहानी केवल राजनीतिक महत्वाकांक्षा की नहीं, बल्कि दृढ़ इच्छाशक्ति, रणनीतिक दिमाग और देश के प्रति समर्पण की भी कहानी है।

प्रारंभिक जीवन और राजनीतिक शुरुआत:

  • 1927 में सिंध प्रांत (अब पाकिस्तान) में जन्मे आडवाणी एक संघर्षशील पृष्ठभूमि से आते हैं। विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ भारत आए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए।
  • 1951 में राजनीति में प्रवेश किया और जनसंघ के सदस्य बने, जो भाजपा की पूर्ववर्ती पार्टी थी।
  • 1975 में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किए गए और 19 महीने जेल में बिताए, जिसने उनके लोकप्रियता को बढ़ाया।

भाजपा का उल्लेखनीय नेतृत्व:

  • 1980 में भाजपा के अध्यक्ष बने और पार्टी को संगठित करने, विचारधारा को स्पष्ट करने और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने में अहम भूमिका निभाई।
  • 1990 के दशक में राम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने देश की राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया और भाजपा को हिंदुत्व की राजनीति से जोड़ा।
  • 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार में गृह मंत्री के रूप में काम किया।

उपलब्धियां और विवाद:

  • पोखरण परमाणु परीक्षण को मंजूरी देकर राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
  • गुजरात दंगों (2002) के बाद भाजपा से अलग हुए लेकिन बाद में लौटे।
  • 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद मार्गदर्शक मंडल के अध्यक्ष बने लेकिन बाद में निष्क्रिय हो गए।

सम्मान और विरासत:

  • 2016 में पद्म विभूषण और 2023 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
  • उनके राजनीतिक विचारों पर बहस हो सकती है, लेकिन उनकी संगठनात्मक क्षमता और भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में उनकी भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता।
  • वह युवाओं के लिए एक प्रेरणा हैं जो बताती है कि दृढ़ संकल्प और रणनीति से असंभव को भी हासिल किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

लालकृष्ण आडवाणी की कहानी भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। वह विवादों से भी घिरे रहे, लेकिन उनकी राष्ट्र निर्माण में भूमिका और भाजपा को शिखर पर पहुंचाने में उनके प्रयासों को भुलाया नहीं जा सकता। उनका जीवन हमें सिखाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और लक्ष्य के प्रति समर्पण से कोई भी व्यक्ति और संगठन ऊंचाइयों को छू सकता है।

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