24 जनवरी, 2024 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी ने एक ऐलान किया जिसने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि टीएमसी लोकसभा चुनाव में अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेगी। ममता के इस ऐलान के साथ ही विपक्षी इंडिया गठबंधन की तस्वीर और भविष्य पर संकट के बादल गहरे हो गए हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी पार्टियों ने एकजुट होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को चुनौती देने के लिए I.N.D.I.A गठबंधन का गठन किया था। इस गठबंधन में 28 विपक्षी पार्टियां शामिल थीं, जिनमें टीएमसी भी शामिल थी। गठबंधन के तहत, विपक्षी पार्टियों ने सीटों का बंटवारा करने और चुनाव लड़ने का तरीका तय करने के लिए कई बैठकें की थीं।
हालांकि, टीएमसी और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद पैदा हो गए थे। टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में 42 सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की थी, जबकि कांग्रेस ने केवल 10 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार थी। इसके अलावा, टीएमसी ने चुनावी घोषणा पत्र और चुनावी अभियान की रणनीति को लेकर भी कांग्रेस के साथ मतभेद जताया था।
ममता बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस ने उनकी सभी मांगों को नकार दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस केवल अपनी मर्जी से काम करना चाहती है और टीएमसी को दबाने की कोशिश कर रही है। इसलिए, टीएमसी ने I.N.D.I.A गठबंधन से अलग होने का फैसला किया है।
ममता बनर्जी के इस ऐलान से विपक्षी गठबंधन को बड़ा झटका लगा है। इससे यह सवाल उठ गया है कि क्या विपक्षी पार्टियां एनडीए को चुनौती देने के लिए एकजुट रह पाएंगी।
ममता बनर्जी के फैसले के कारण
ममता बनर्जी के फैसले के पीछे कई कारण हो सकते हैं। एक कारण यह हो सकता है कि वह पश्चिम बंगाल में टीएमसी की बढ़ती लोकप्रियता का फायदा उठाना चाहती हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव में, टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में 213 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था। यह टीएमसी की सबसे बड़ी जीत थी।
दूसरा कारण यह हो सकता है कि ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ अपने संबंधों से नाखुश हैं। कांग्रेस ने पिछले कुछ वर्षों में टीएमसी को कई मौकों पर परेशान किया है। उदाहरण के लिए, 2021 के विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस ने टीएमसी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
तीसरा कारण यह हो सकता है कि ममता बनर्जी एक मजबूत और स्वतंत्र नेता के रूप में अपनी छवि स्थापित करना चाहती हैं। वह यह दिखाना चाहती हैं कि वह किसी अन्य पार्टी के दबाव में नहीं आती हैं।
विपक्षी गठबंधन के लिए चुनौती
ममता बनर्जी के फैसले से विपक्षी गठबंधन के लिए चुनौती बढ़ गई है। टीएमसी पश्चिम बंगाल में सबसे मजबूत विपक्षी पार्टी है। टीएमसी के बिना, विपक्षी गठबंधन को पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ना मुश्किल होगा।
इसके अलावा, टीएमसी के इस फैसले से अन्य विपक्षी पार्टियों के बीच भी दरार पैदा हो सकती है। कुछ विपक्षी पार्टियां टीएमसी के फैसले का समर्थन कर सकती हैं, जबकि अन्य इसका विरोध कर सकती हैं।
ममता बनर्जी के फैसले से भारतीय राजनीति में हलचल मची हुई है। यह देखना होगा कि विपक्षी गठबंधन इस चुनौती का सामना कैसे करता है।