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सांसद रितेश पांडे बीजेपी में हुए शामिल, BSP से आज ही दिया था त्यागपत्र

सांसद रितेश पांडे बीजेपी में हुए शामिल, BSP से आज ही दिया था त्यागपत्र

राजनीतिक पारा चढ़ाने वाला एक ताजा घटनाक्रम सामने आया है। बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सांसद रितेश पांडे ने आज सुबह ही पार्टी से त्यागपत्र देकर सभी को चौंका दिया। लेकिन उनके दिन का खेल खत्म नहीं हुआ था। कुछ ही घंटों बाद, दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में उन्होंने भगवा ध्वज थाम ली और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गए। इस सियासी उलटफेर से जहां भाजपा खेमे में खुशी की लहर है, वहीं बसपा खेमा सकते में है और पार्टी पांडे के इस कदम को महत्वाकांक्षा से प्रेरित बता रही है।

बसपा से इस्तीफे की वजह: हाशिए पर महसूस करना या…

पांडे ने अपने इस्तीफे में पार्टी में हाशिए पर महसूस करने और नेतृत्व से समर्थन न मिलने का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “मैं पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहा था। मेरी आवाज को सुना नहीं जा रहा था, इसलिए मुझे इस कठिन फैसला लेना पड़ा।”

लेकिन क्या ये वजह पूरी सच्चाई बयां कर रही है? कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे संदेह की नजर से देखते हैं। उनका मानना है कि पांडे की महत्वाकांक्षा और आगामी लोकसभा चुनाव में मजबूत टिकट की उम्मीद ही उन्हें भाजपा की ओर खींच लाई है।

BSP का पलटवार: अनुशासनहीनता की वजह से निकाले गए

दूसरी ओर, बसपा ने पांडे के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, “पांडे का पार्टी से इस्तीफा अनुशासनहीनता और गुटबाजी के कारण हुआ है। वह पार्टी के आदेशों का पालन नहीं करते थे और गुटबाजी में लिप्त थे।”

राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म

पांडे के भाजपा में शामिल होने से राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। भाजपा समर्थक इसे पार्टी के लिए बड़ी जीत मानते हैं, वहीं बसपा समर्थक इसे पार्टी को कमजोर करने की साजिश बता रहे हैं।

क्या होगा रितेश पांडे का राजनीतिक भविष्य?

अब बड़ा सवाल यह है कि रितेश पांडे का राजनीतिक भविष्य क्या होगा? क्या भाजपा उन्हें आगामी चुनाव में टिकट देगी? और अगर ऐसा होता है, तो क्या वे बसपा के मजबूत गढ़ माने जाने वाले अंबेडकर नगर सीट से ही चुनाव लड़ेंगे? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में मिलेंगे।

क्या BJP को मिलेगा फायदा या BSP मजबूत करेगी पकड़?

यह घटनाक्रम 2024 के लोकसभा चुनावों को और रोचक बना देता है। पांडे के भाजपा में शामिल होने का चुनावों पर क्या असर पड़ेगा, यह अभी कहना मुश्किल है। क्या इससे भाजपा को फायदा होगा या इससे बसपा और मजबूत होकर उभरेगी? यह देखना दिलचस्प होगा।

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