‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे के साथ RSS ने संभाली महाराष्ट्र में कमान, BJP को हरियाणा जैसे रिजल्ट की उम्मीद

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने के लिए आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कमान संभाल ली है. नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय के ठीक बाहर आरएसएस से प्रेरित लोक जागरण मंच के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कुछ घरों का दौरा किया.

इन कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों को इस महीने होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अधिक से अधिक संख्या में वोट देने के लिए प्रेरित किया और ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के नारे को ध्यान में रखने को कहा.

ये कार्यकर्ता हिंदी और मराठी में एक पन्ने का एक पर्चा बांट रहे हैं, जो लोगों को सीएम योगी के मंत्र ‘बटेंगे तो कटेंगे’ की याद दिलाता है और अप्रैल-जून के आम चुनाव परिणामों से सीख लेने के लिए कहता है.

48 लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी सिर्फ नौ सीटों पर सिमट गई थी. इस पर्चे में लोगों से कहा गया है कि वो उन लोगों से सावधान रहें जो ‘संविधान, आरक्षण और एससी-एसटी के बारे में अफवाहें फैला रहे हैं’ और ऐसी सरकार चुनें जो ‘जमीन जिहाद, लव जिहाद, धर्म परिवर्तन, पत्थरबाजी और दंगों’ पर रोक लगाए.

पर्चे में यह भी कहा गया है कि लोगों को अंतर समझना चाहिए कि कौन विश्व मंच पर भारत की छवि सुधारने का काम कर रहा है और कौन विदेशों में देश को बदनाम कर रहा है- यह कहना शायद नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की ओर इशारा है, हालांकि इसमें किसी का नाम नहीं लिया गया है.

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के इस बयान के बाद कि पार्टी आत्मनिर्भर है और पहले की तरह संघ पर निर्भर नहीं है, आरएसएस लोकसभा चुनावों के दौरान पीछे हट गया था. लेकिन दो महीने पहले पलक्कड़ में हुई भाजपा-आरएसएस समन्वय बैठक के बाद संघ महाराष्ट्र में इस विधानसभा चुनाव अभियान में उत्साहपूर्वक मैदान में है.

आरएसएस के कार्यकर्ताओं की ओर से चुनावों तक लोगों के साथ 50,000 से 70,000 छोटी बैठकें करने की योजना है. संगठन इसे अपनी निरंतर लोक जागरण गतिविधि कहता है. आरएसएस ने हरियाणा में भी ऐसा ही किया था, जहां 16,000 से अधिक ऐसी बैठकें की गई थीं, जिसके अच्छे नतीजे हालिया चुनावों में देखने को मिले थे, जिसमें भाजपा की जीत हुई थी. नागपुर में आरएसएस के रेशीमबाग कार्यालय में जहां मैदान में प्रतिदिन एक बड़ी शाखा लगती है, स्थानीय संघ कार्यकर्ताओं के कदमों में भी जोश दिखाई देता है.

महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है, जिसे आरएसएस सबसे अच्छी तरह से जानता है और जहां उसकी जड़ें सबसे गहरी हैं. नागपुर में तो इसका मुख्यालय है. आरएसएस के राज्य के शीर्ष भाजपा नेताओं- देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी के साथ भी घनिष्ठ संबंध हैं. वास्तव में देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद अराजकतावादियों और वोट जिहादियों से लड़ने में मदद के लिए आरएसएस से संपर्क किया था, यह कहते हुए कि संघ कोई भी खुला राजनीतिक काम नहीं करता है.

नागपुर में आरएसएस से प्रेरित लोक जागरण मंच विदर्भ के कार्यकर्ताओं ने CNN-News18 को बताया कि अपनी दैनिक शाखा के बाद वे समान विचारधारा वाले लोगों तक पहुंच रहे हैं ताकि उन्हें बड़ी संख्या में मतदान के लिए प्रेरित किया जा सके. एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘हम लोगों से कहते हैं कि वे किसी भी पार्टी को वोट दे सकते हैं, लेकिन उन्हें वोट जरूर देना चाहिए. हमने एक पर्चा भी तैयार किया है जिसे हम बांट रहे हैं, हमने इसमें किसी भी पार्टी का नाम नहीं लिया है.’

क्या अपील कर रहे आरएसएस के लोग?

उन्होंने कहा कि उनका अभियान ‘लव जिहाद, लैंड जिहाद और पत्थरबाजों’ के खिलाफ है. कार्यकर्ता ने कहा, ‘हम लोगों से हिंदुत्व की ताकतों को वोट देने की अपील करते हैं. वे हमसे पूछते हैं कि उन्हें किसे वोट देना चाहिए. हम कहते हैं कि किसी को भी वोट दें लेकिन मुद्दों को ध्यान में रखें. हम लोगों को बताना चाहते हैं कि कोई भी संविधान नहीं बदल सकता है और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बीच यह एक झूठा प्रचार है कि आरक्षण खत्म हो जाएगा. भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान को कोई भी नहीं बदल सकता है.’

RSS कर रहा फिल्डिंग

लोकसभा चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों से कहा था कि अगर बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला तो वह संविधान बदल देगी और आरक्षण खत्म कर देगी. कार्यकर्ता ने कहा, ‘हम लोगों से कहना चाहते हैं कि ऐसी अफवाहों और गलत धारणाओं पर ध्यान न दें. गलतफहमी में मत रहिए.’ अन्य कार्यकर्ताओं ने कहा कि लोग अब समझदार हो गए हैं और उन्होंने नागपुर विधानसभा क्षेत्रों में कम से कम 80% मतदान हासिल करने का लक्ष्य भी तय किया है.

कार्यकर्ता घर-घर क्यों जा रहे?

दूसरे कार्यकर्ता ने कहा, ‘लोग समझते हैं कि कौन सी पार्टी काम कर रही है और कौन सी पार्टी देश और समाज के भविष्य की रक्षा करेगी. हमारा इरादा लोगों से सही पार्टी को वोट देने के लिए बात करना है.’ एक अन्य कार्यकर्ता ने कहा कि लोग समझते हैं कि देश में विकास कौन कर रहा है और कौन सक्रिय है.

तीसरे कार्यकर्ता ने कहा, ‘लोग समझते हैं कि कौन सी पार्टी भ्रष्ट है… और कौन हमारे शहरों और गांवों का विकास कर रहा है. नागरिक जाति और धर्म के आधार पर वोट न देने के लिए बहुत समझदार हैं… ये आपके घर के लिए मुद्दे हो सकते हैं, राजनीति के लिए नहीं.’

‘बटेंगे तो कटेंगे’ पर पूरा जोर

अपने दशहरा संबोधन में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा कार्यकर्ताओं को दलितों से दोस्ती करने और उसे आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया था. मथुरा में एक आरएसएस बैठक के बाद संगठन ने हिंदू एकता के मुद्दे का समर्थन किया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गढ़ा गया नारा बटेंगे तो कटेंगे को अपनी मंजूरी दे दी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव प्रचार में इस नारे का हवाला दिया और इसमें एक और नारा जोड़ते हुए कहा, ‘एक हैं तो सेफ हैं.’ ऐसा लगता है कि हरियाणा चुनाव जीत के बाद बीजेपी और आरएसएस अब पूरी तरह से एक हो गए हैं.

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