राज्य दर राज्य बढ़ रहे मुसलमान... आरएसएस में बढ़ी NRC की चर्चा, मोदी सरकार 5 साल से चुप

राज्य दर राज्य बढ़ रहे मुसलमान… आरएसएस में बढ़ी NRC की चर्चा, मोदी सरकार 5 साल से चुप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर, 2019 को दिल्ली की एक जनसभा में कहा था कि उनकी सरकार ने सत्ता में वापसी के बाद से राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर कोई चर्चा नहीं की है। तब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन चल रहे थे। तब से, सरकार ने कई मौकों पर इस रुख को दोहराया है। हालांकि, यह मुद्दा अब राष्ट्रीय राजनीतिक चर्चा में फिर से उभरता दिख रहा है।

आरएसएस की सर्वोच्च निर्णायक संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) की वार्षिक बैठक के मुख्य एजेंडे में एनआरसी शामिल होने की संभावना है। यह बैठक इस साल 21 से 23 मार्च तक बेंगलुरु में होगी। सूत्रों ने बताया कि एबीपीएस पूरे भारत में एनआरसी के लागू करने पर चर्चा कर सकती है। साथ ही, कुछ राज्यों में इसे कैसे लागू किया जाए, इस पर भी विचार-विमर्श हो सकता है।

कई राज्यों में बेतहाशा बढ़ रही मुस्लिम आबादी

संघ के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘घुसपैठ के कारण देश के कई राज्यों की जनसांख्यिकी बदल गई है। झारखंड में मुसलमानों की तुलना में ईसाई आबादी भी घट रही है। बांग्लादेश से आने वाले लोगों के कारण अरुणाचल प्रदेश जैसे रणनीतिक रूप से संवेदनशील राज्यों की जनसांख्यिकी भी तेजी से बदल रही है। हम सभी जानते हैं कि असम और पश्चिम बंगाल में क्या हुआ है। गैरकानूनी अप्रवासियों की पहचान करना और उन्हें वापस भेजना केंद्र सरकार का कर्तव्य है।’

…ताकि एक भी भारतीय नागरिक न हो परेशान

संघ पदाधिकारी के अनुसार, एबीपीएस इस बात पर चर्चा करेगा कि एनआरसी को कैसे लागू किया जाए ताकि किसी भी ‘भारतीय नागरिक’ को खतरा महसूस न हो। सूत्रों ने बताया कि एबीपीएस इस बात पर भी चर्चा कर सकता है कि क्या एनआरसी विशिष्ट राज्यों में आयोजित किया जाना चाहिए।

एबीपीएस मीटिंग के दौरान कम से कम ‘राष्ट्रीय महत्व के दो मुद्दों’ पर एक प्रस्ताव पारित करने की भी उम्मीद है। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि एनआरसी पर कोई प्रस्ताव होगा या नहीं। एक अन्य आरएसएस नेता ने कहा, ‘किसी मुद्दे पर प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए या नहीं, यह बैठक के दौरान तय किया जाता है, पहले से नहीं। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि वरिष्ठ नेता इस मुद्दे को आगे कैसे ले जाने का फैसला करते हैं।’

आरएसएस की बैठक क्यों महत्वपूर्ण है?

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शिखर सम्मेलन आरएसएस की सबसे महत्वपूर्ण बैठक है। इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत और दूसरे नंबर के नेता दत्तात्रेय होसबले समेत सभी शीर्ष नेता उपस्थित रहेंगे। साथ ही, भाजपा अध्यक्ष और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता भी बैठक में शामिल हो सकते हैं। चर्चा किए गए मुद्दे और लिए गए फैसले न केवल अगले वर्ष के लिए संघ को दिशा देते हैं बल्कि सरकार को यह भी संकेत देते हैं कि वह नीतिगत स्तर पर क्या लागू करना चाहता है।

मोदी सरकार ने 2019 के विरोध प्रदर्शनों के बाद से एनआरसी पर कोई कदम या महत्वपूर्ण बयान नहीं दिया है, और यह माना जा रहा है कि इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।

यहां तक कि बीजेपी ने इसे 2024 के चुनावी घोषणापत्र से हटा दिया है। पार्टी ने 2019 के चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र में इस मुद्दे को शामिल किया था। हालांकि, भाजपा नेताओं ने समय-समय पर इस मुद्दे पर बयानबाजी की है।

पिछले साल झारखंड विधानसभा चुनावों से पहले केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि सरकार राज्य में एनआरसी के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी। राज्य के लिए भाजपा के चुनाव प्रभारी चौहान ने अक्टूबर में रांची में कहा था, ‘झारखंड में NRC लागू किया जाएगा और अवैध अप्रवासियों की पहचान कर उन्हें राज्य से बाहर किया जाएगा।’ हाल ही में, झारखंड के सांसद निशिकांत दुबे ने भी एनआरसी को लेकर टिप्पणी की थी। एनआरसी पर आरएसएस का रुख क्या है? संघ ने हमेशा यह कहा है कि देशव्यापी एनआरसी होना चाहिए।

सरकार चुप, लेकिन आरएसएस सक्रिय

सरकार भले ही पांच साल से अधिक समय तक इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट नहीं कर सकी, लेकिन एनआरसी अभी भी चर्चा में है। संभव है कि अगले साल संभावित जनगणना के बाद इसकी बारी आ जाए। कानून के तहत, यह राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट किए जाने के बाद का तार्किक कदम है। यह जनगणना के तहत घरों की लिस्टिंग वाले फेज के साथ आयोजित किया जाएगा।

अगर सरकार जनगणना को आगे बढ़ाने का फैसला करती है तो होम लिस्टिंग फेज अगले साल होने की संभावना है। 1955 के नागरिकता अधिनियम के तहत 2003 के नागरिकता नियमों में यह निहित है कि एनपीआर के आधार पर एनआरसी किया जाएगा। नियमों को पढ़ने से पता चलता है कि एनपीआर दरअसल एनआरसी के लिए बनाए गए नियमों का ही हिस्सा है।

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