IIT मुंबई का एयरोस्पेस इंजीनियर जो बन गया सनातन का संत… कुंभ में वायरल हुए युवा योगी की कहानी

Abhay Singh IIT Bombay Aerospace: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में दिव्य और भव्य महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों साधु-संत और श्रद्धालु अमृत स्नान के लिए पहुंच रहे हैं. महाकुंभ में कई ऐसे भी साधु-संत पहुंच रहे हैं, जो अपने खास अंदाज के लिए चर्चा में बने हुए हैं. इन्हीं में से एक आईआईटीयन बाबा अभय सिंह भी हैं, जिनकी कहानी बेहद दिलचस्प है. महाकुंभ में इन्हें लोग इंजीनियर बाबा के नाम से जान रहे हैं.

इनका दावा है कि इन्होंने बॉम्बे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है. लेकिन, अब इन्होंने साइंस का रास्ता छोड़कर आध्यात्म का रास्ता अपना लिया है, जहां उन्हें शांति मिलती है. हालांकि, सोशल मीडिया पर इंजीनियर बाबा को लेकर चर्चा चल रही है कि उन्होंने प्रेम में एक लड़की से मिले धोखे के बाद सांसारिक मोह माया त्याग कर भगवान की शरण ली. वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का कहना है कि इंजीनियर बाबा बेरोजगारी से मिले अवसाद की वजह से अध्यात्म का रास्ता चुना.

कौन हैं इंजीनियर बाबा अभय सिंह?

बता दें इंजीनियर बाबा का नाम अभय सिंह हैं. उनके सोशल मीडिया के मुताबिक, वह हरियाणा के झज्जर के रहने वाले हैं. अभय सिंह ने कई मीडिया इंटरव्यू में दावा किया है कि उन्होंने IIT बॉम्बे से इंजीनियरिंग की है और उनका सब्जेक्ट एयरोस्पेस था. उनका दावा है कि बॉम्बे IIT से पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका सिलेक्शन हुआ और उन्हें एक कंपनी से लाखों का पैकेज ऑफर हुआ था. उन्होंने कुछ दिन नौकरी की.

इंजीनियरिंग के दौरान पढ़ते थे ह्यूमैनिटी

अभय सिंह ने बताया कि इंजीनियरिंग के दौरान उन्होंने ह्यूमैनिटी के अलग विषय पढ़े, जिसमें फिलॉसॉफी से जुड़े हुए अलग-अलग विषय पढ़े. जिंदगी का मतलब समझने के लिए नवउत्तरावाद, सुकरात, प्लेटो के आर्टिकल और किताबें पढ़ीं. इसके बाद उनका इंटरेस्ट डिजाइनिंग की तरफ हुआ, इसके लिए उन्होंने एक साल कोचिंग में फिजिक्स पढ़ाया, लेकिन उनका मन यहां भी नहीं लगता था.’

इस दौरान उन्होंने दो साल डिजाइनिंग पढ़ी और फिर उनकी नौकरी फोटोग्राफी के काम में लग गई जिसमें उनको अलग-अलग जगह पर घूमना था और फोटोग्राफी करनी थी. उनको लगा यह तो अच्छा काम है पर एक समय के बाद उससे भी मन हट गया और जीवन का मकसद नहीं मिला. वहीं एक समय के बाद वह डिप्रेशन में रहने लगे तो उनकी बहन ने उनको संभालने की कोशिश की और कनाडा बुलाया. अब एक बार फिर वहां पर उनकी नौकरी लगी, लेकिन वहां भी जिंदगी जीने का और जीवन का कारण नहीं मिल रहा था.

कई धार्मिक जगहों की यात्रा की

वहां फिर डिप्रेशन में आ गए और कोरोना के बाद वापस भारत आ गए. यहां आकर उन्होंने अलग-अलग विधा की पढ़ाई करनी शुरू की. इसके बाद उन्हें जीवन की नई राह मिली. समय मिलने पर पैदल चारों धाम की यात्रा की. पैदल उत्तराखंड में अलग-अलग जगह और हिमाचल में अलग-अलग जगह की यात्रा करी और जीवन को जानने की कोशिश की.

अब इंजीनियर बाबा ने अपनी पूरी जिंदगी भगवान शिवशंकर को समर्पित कर दी है. उन्होंने बताया, “अब आध्‍यात्‍म में मजा आ रहा है. मैं साइंस के जरिए आध्यात्म को समझ रहा हूं. इसकी गहराइयों में जा रहा हूं. सब कुछ शिव है. सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है.”

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