अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह 22 जनवरी, 2024 को भव्य और ऐतिहासिक तरीके से संपन्न हुआ। इस समारोह में देशभर से लाखों श्रद्धालु शामिल हुए।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान रामलला के श्रीविग्रह को गर्भगृह में स्थापित किया गया। इस अवसर पर रामलला को सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं से सजाया गया था।
रामलला के सिर पर एक स्वर्णिम मुकुट धारण किया गया था। मुकुट पर भगवान राम की आकृति उकेरी गई थी। मुकुट की चोटी पर एक हीरा जड़ा हुआ था। मुकुट की कीमत लगभग 10 करोड़ रुपये थी।
रामलला के गले में एक हीरे और मोतियों का हार पहनाया गया था। हार में भगवान राम के दशावतारों की आकृतियाँ भी उकेरी गई थीं। हार की कीमत लगभग 5 करोड़ रुपये थी।
रामलला के कानों में कुंडल और हाथों में स्वर्ण धनुष-बाण थे। धनुष की लंबाई लगभग 6 फीट थी। धनुष की कीमत लगभग 2 करोड़ रुपये थी। बाण की कीमत लगभग 1 करोड़ रुपये थी।
रामलला पीली धोती और लाल साफा पहने हुए थे। धोती की कीमत लगभग 50,000 रुपये थी। साफे की कीमत लगभग 20,000 रुपये थी।
रामलला का यह मनमोहक शृंगार देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो गया। श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद रामलला आमजन के लिए खुल गए। अब हर कोई रामलला के दर्शन कर सकता है।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा एक ऐतिहासिक घटना है। यह हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन प्रभु श्रीराम अपने भक्तों के बीच विराजमान हो गए हैं।
अतिरिक्त जानकारी
- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं का आयात किया गया था।
- रामलला के शृंगार में इस्तेमाल की गई सभी सामग्री को विशेष रूप से तैयार किया गया था।
- रामलला के शृंगार को तैयार करने में कई कलाकारों और शिल्पकारों ने कई महीनों तक मेहनत की।
रामलला के शृंगार का महत्व
- रामलला का शृंगार उनके दिव्य रूप का प्रतीक है।
- रामलला का शृंगार उनके भक्तों के लिए आशीर्वाद का प्रतीक है।
- रामलला का शृंगार हिंदू धर्म की समृद्ध संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के प्रभाव
- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से भारत में हिंदू धर्म का उत्साह बढ़ गया है।
- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से भारत में सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा मिला है।
- रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से भारत की एकता और अखंडता को मजबूती मिली है।