संभल हिंसा: पीस कमेटी बैठक में CO अनुज चौधरी का बड़ा बयान – “ईद की सेवइयां खिलानी हैं तो होली की गुजिया भी खानी होगी!”
उत्तर प्रदेश के संभल में सांप्रदायिक तनाव के बीच बुधवार को कोतवाली थाने में पीस कमेटी की बैठक आयोजित की गई। इस दौरान सर्किल ऑफिसर (CO) अनुज चौधरी ने अपने बयान पर सफाई देते हुए स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देना था। उन्होंने कहा, “अगर आप ईद की सेवइयां खिलाना चाहते हैं, तो होली की गुजिया भी खानी होगी।”
दोनों पक्षों को समान सम्मान देने की अपील
CO अनुज चौधरी ने कहा कि समाज में भाईचारे को बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने समझाया कि जब एक समुदाय के लोग दूसरे समुदाय के त्योहारों में शामिल नहीं होते, तो आपसी सौहार्द कमजोर पड़ने लगता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका बयान किसी एक पक्ष के खिलाफ नहीं था, बल्कि दोनों समुदायों के लिए समान रूप से था।
उन्होंने सवाल किया, “अगर मेरा बयान इतना गलत था, तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती क्यों नहीं दी गई?” उन्होंने कहा कि उनका इरादा शांति सुनिश्चित करना था, न कि किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करना।
संभल हिंसा और पुलिस कार्रवाई
संभल में बीते साल 24 नवंबर को हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद क्षेत्र में तनाव बना हुआ है। इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी और कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे। यह हिंसा तब भड़की जब कोर्ट के आदेश पर जामा मस्जिद का सर्वे किया गया। इस दौरान भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। इसके बाद इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा और अब तक करीब सात दर्जन लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
इसके अलावा, 25 मार्च को शाहवाजपुर सूरा नगला गांव में होने वाले वार्षिक नेजा मेले पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दरगाह पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था, जिससे वहां किसी को आने-जाने की अनुमति नहीं दी गई। इस फैसले को लेकर मुस्लिम समुदाय में असंतोष देखा गया।
इतिहास के नाम पर आक्रमणकारियों का महिमामंडन गलत – पुलिस प्रशासन
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) श्रीश चंद्र ने बताया कि नेजा मेला एक लुटेरे, आक्रमणकारी और हत्यारे की याद में आयोजित किया जाता था। उन्होंने कहा, “लोगों ने अब इस प्रथा की अनुपयुक्तता को समझ लिया है और इसे छोड़ दिया है।”
संभल प्रशासन ने महमूद गजनवी के भतीजे सैयद सालार मसूद गाजी की याद में होने वाले इस मेले की अनुमति देने से इनकार कर दिया। अधिकारियों का कहना था कि “देश को लूटने आए किसी व्यक्ति की स्मृति का महिमामंडन करना सही नहीं है।”