Sandeshkhali Violence: पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में हुई हिंसा का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने मामले की जांच कर 20 फरवरी को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है। रिपोर्ट में एनसीडब्ल्यू ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है। साथ ही, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफे की भी मांग की गई है।
पीड़ित महिलाओं से मुलाकात के बाद सख्त कदम की सिफारिश
एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने 19 फरवरी को संदेशखाली का दौरा किया था और वहां पीड़ित महिलाओं से मुलाकात की थी।
इस मुलाकात के बाद उन्होंने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि ममता बनर्जी को इस्तीफा दे देना चाहिए। एनसीडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में इसी मुलाकात के आधार पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की है।
पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग, हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
इस बीच, एनसीडब्ल्यू ने पश्चिम बंगाल सरकार से संदेशखाली हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने की भी मांग की है। साथ ही, कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी 17 फरवरी को इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी
संदेशखाली हिंसा को लेकर भाजपा और टीएमसी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। भाजपा ने इस घटना के लिए ममता बनर्जी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है। वहीं, टीएमसी ने भाजपा पर राजनीतिक लाभ के लिए इस घटना का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।
राष्ट्रपति के फैसले पर टिकी निगाहें
अब सबकी निगाहें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के फैसले पर टिकी हैं। वह एनसीडब्ल्यू की रिपोर्ट पर क्या फैसला लेती हैं, यह देखना होगा। यदि राष्ट्रपति रिपोर्ट की सिफारिशों से सहमत होती हैं, तो पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। साथ ही, कलकत्ता हाईकोर्ट का फैसला भी इस मामले की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।