वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर विवाद में एक नया मोड़ आ गया है। हिंदू पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में एक ताजा याचिका दायर कर तहखानों को खोलने और सीलबंद इलाकों में वैज्ञानिक जांच कराने की मांग की है। यह मांग उस वक्त सामने आई है जब अभी हाल ही में मस्जिद परिसर के एक हिस्से का सर्वेक्षण पूरा हुआ है और उसकी रिपोर्ट को लेकर दोनों पक्षों में खींचतान चल रही है।
हिंदू पक्ष का दावा: इतिहास के गर्भ में छिपे हैं सबूत
हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी परिसर पहले एक भव्य हिंदू मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी। उनका कहना है कि मंदिर से जुड़े प्रमाण और कलाकृतियां तहखानों में छिपी हो सकती हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि जिन दस तहखानों का जिक्र है, उनमें से कुछ अभी भी सीलबंद हैं। इन्हें खोलकर जांच से इतिहास के सच सामने आ सकते हैं।
वैज्ञानिक जांच की मांग और उसके मायने
हिंदू पक्षकारों का मानना है कि वैज्ञानिक जांच निष्पक्ष तरीके से इतिहास और पुरातत्व संबंधी सच्चाई उजागर करने में मदद करेगी। इससे मंदिर-मस्जिद विवाद को सुलझाने में भी सकारात्मक योगदान मिल सकता है। हालांकि, यह तर्क मुस्लिम पक्षकारों द्वारा खारिज किया जा रहा है। उनका कहना है कि मस्जिद परिसर के धार्मिक स्वरूप पर सवाल उठाना गलत है और जांच की कोई जरूरत नहीं है।
विवाद की जटिलता और संवेदनशीलता
ज्ञानवापी विवाद काफी जटिल और संवेदनशील है। धार्मिक आस्थाओं और ऐतिहासिक तथ्यों का मिश्रण इस मामले को और पेचीदा बना देता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई की तारीख तय कर दी है, मगर फैसला कितना भी आए, उसका सामाजिक और धार्मिक असर व्यापक होगा। ऐसे में यह जरूरी है कि मामले का हल संजीदगी और तार्किक तरीके से निकाला जाए, ताकि सामाजिक सौहार्द्र बना रहे।
आगे क्या?: सुनवाई और फैसले का इंतजार
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। आने वाली सुनवाई में क्या फैसला होगा, यह देखना बाकी है। लेकिन इतना तय है कि यह मामला देश में धार्मिक स्थलों के मालिकाना और इतिहास से जुड़े विवादों पर बहस को फिर से हवा देगा। साथ ही, सामाजिक सौहार्द्र बनाए रखने की चुनौती को भी सामने लाएगा।