हिंदू-मुस्लिम समुदायों की आस्थाओं का केंद्र, ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ‘व्यासजी के तहखाने’ में पूजा को लेकर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीते सोमवार को सुनवाई करते हुए फिलहाल पूजा पर रोक नहीं लगाई, लेकिन साथ ही स्पष्ट हिदायत दी है कि इस विवादित स्थल पर “किसी भी पक्ष द्वारा कोई नुकसान नहीं होना चाहिए”। यह आदेश मस्जिद प्रबंधन समिति की उस याचिका पर आया है, जिसमें तहखाने में पूजा-पाठ रोकने की मांग की गई थी।
इस मामले ने न केवल वाराणसी, बल्कि पूरे देश में धार्मिक भावनाओं को भड़काया है। एक ओर हिंदू पक्ष का दावा है कि तहखाने में पहले से ही पूजा होती रही है और वहां शिवलिंग मौजूद है, जिसे फव्वारा बताकर मुस्लिम पक्ष द्वारा अतिक्रमण किया गया है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वहां कोई मूर्ति नहीं है और वह सदियों से मस्जिद का हिस्सा रहा है।
पिछले साल ज्ञानवापी परिसर में हुए सर्वेक्षण के दौरान यह विवाद उभरा था। सर्वेक्षण रिपोर्ट को लेकर भी दोनों पक्षों में मतभेद हैं। अब सभी की निगाहें 6 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां इस पेचीदे मामले में अगला फैसला आ सकता है।
क्या है HC का आदेश?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि “तहखाने में किसी भी पक्ष द्वारा कोई नुकसान नहीं होना चाहिए”। इसका मतलब यह है कि फिलहाल किसी भी पक्ष को न तो वहां पूजा करने की अनुमति है और न ही कोई अतिक्रमण या छेड़छाड़ की जा सकती है।
यह आदेश दोनों पक्षों के लिए थोड़ी राहत भी है और चिंता भी। हिंदू पक्ष को फिलहाल पूजा की इजाजत नहीं मिली, जबकि मुस्लिम पक्ष को राहत है कि मस्जिद की संरचना में छेड़छाड़ नहीं होगी। लेकिन, अगली सुनवाई तक धार्मिक तनाव बना रहने की आशंका है।
आगे क्या होगा?
6 फरवरी को होने वाली अगली सुनवाई काफी अहम मानी जा रही है। माना जा रहा है कि अदालत इसी सुनवाई में कोई अहम फैसला सुना सकती है। हो सकता है कि अस्थायी तौर पर किसी एक पक्ष को पूजा की अनुमति दे दी जाए या फिर सर्वेक्षण रिपोर्ट पर फैसला किया जाए।
लेकिन, यह तय है कि यह मामला अब भी लंबा खिंच सकता है और सुप्रीम कोर्ट तक जाने की भी संभावना है। ऐसे में, सामाजिक सद्भाव बनाए रखना और कानून व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
क्या कहते हैं जानकार?
इस मामले के जानकारों का मानना है कि अदालत जल्द से जल्द किसी हल निकालने की कोशिश करेगी। लेकिन, दोनों समुदायों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक फैसला लेना होगा। साथ ही, यह भी जरूरी है कि इस विवाद को राजनीतिक लाभ के लिए उछाला न जाए, जिससे सामाजिक सद्भाव बना रहे।
‘व्यासजी के तहखाने’ को लेकर छिड़ा यह विवाद देश में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए एक इम्तेहान बन गया है। उम्मीद है कि अदालत का फैसला सभी के लिए स्वीकार्य होगा और शांति कायम होगी।