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एक था मुख्तार: दादा स्वतंत्रता सेनानी, नाना युद्ध के नायक, चाचा रहे उपराष्ट्रपति; जानें कैसे बना था यूपी का माफिया?

एक था मुख्तार: दादा स्वतंत्रता सेनानी, नाना युद्ध के नायक, चाचा रहे उपराष्ट्रपति; जानें कैसे बना था यूपी का माफिया?

मुख्तार अंसारी, वो नाम जो कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति और माफिया की दुनिया में गूँजा करता था। एक ऐसा व्यक्ति जिसके दादा स्वतंत्रता सेनानी थे, नाना युद्ध के नायक थे, और चाचा देश के उपराष्ट्रपति रहे थे। लेकिन वही व्यक्ति अपराध की दुनिया में भी डूब गया और यूपी का माफिया बन गया।

राजनीतिक खानदान से था मुख्तार अंसारी

मुख्तार अंसारी का जन्म 3 जून 1963 को गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में हुआ था। उनके दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे और महात्मा गांधी के साथ काम करते थे। उनके नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 1947 की लड़ाई में शहीद हुए थे और उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार के चाचा थे।

मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था. उसके पिता का नाम सुबाहउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था. गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है।

17 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र दिया गया था. जबकि मुख्तार अंसारी के पिता सुबहानउल्लाह अंसारी गाजीपुर की राजनीति में सक्रिय रहे थे।उनकी बेहद साफ-सुथरी छवि रही है. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में तो मुख्तार अंसारी के चाचा लगते हैं।

ऐसे अपराध की दुनिया में रखा कदम

उसके खिलाफ 61 आपराधिक मामले दर्ज थे. इनमें से 15 हत्या के मामले थे. 1980 के दौर में जब पूर्वांचल में विकास के काम हो रहे थे, तब वहां के लोकल गैंग्स में ठेके लेने की होड़ थी।

उस वक्त मुख्तार अंसारी मखानू सिंह गैंग में था. इस गैंग की दुश्मनी साहिब सिंह गैंग से चल रही थी. साहिब सिंह गैंग के लिए गैंगस्टर ब्रजेश सिंह काम कर रहा था।

1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने बनाया अपना गैंग

1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने अपना गैंग बना लिया. उसने कोयला खनन, रेलवे जैसे कामों में 100 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया। फिर वो गुंडा टैक्स ,जबरन वसूली और अपहरण के धंधे में भी आ गया।

उसका सिंडिकेट मऊ, गाजीपुर, बनारस और जौनपुर में एक्टिव था. पूर्वांचल में उस वक्त दो बड़े गैंग थे ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी गैंग. दोनों एक दूसरे के दुश्मन हो गए।

मुख्तार अंसारी का राजनीतिक करियर 1990 के दशक में शुरू हुआ। उन्होंने 1996 में मऊ से विधानसभा चुनाव जीता और 2002 तक विधायक रहे। 2004 में, वह लोकसभा चुनाव जीते और 2009 तक सांसद रहे।

मुख्तार अंसारी पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। उन पर हत्या, अपहरण, रंगदारी और धमकी देने जैसे आरोप हैं। 2005 में, उन्हें बसपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का आरोपी बनाया गया था।

मुख्तार अंसारी को 2009 में गिरफ्तार किया गया था और वह 2017 तक जेल में रहे। 2017 में, उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और उन्होंने 2022 में फिर से मऊ से विधानसभा चुनाव जीता।

मुख्तार अंसारी का 28 मार्च 2024 को हृदय गति रुकने से निधन हो गया।

मुख्तार अंसारी एक विवादास्पद व्यक्ति थे। उनके समर्थक उन्हें एक रॉबिन हुड के रूप में देखते थे जो गरीबों की मदद करते थे। उनके विरोधी उन्हें एक माफिया डॉन मानते थे जो अपराध और हिंसा से अपना वर्चस्व स्थापित करते थे।

मुख्तार अंसारी का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी हो सकती थी, लेकिन उन्होंने अपराध का रास्ता चुना। उनका जीवन उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है जो सोचते हैं कि अपराध ही सफलता का रास्ता है।

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