उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के लिए मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव जीतना प्रतिष्ठा की बात बन गई थी, जिसे बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान ने 61,639 वोटों के बड़े अंतर से जीता।
मिल्कीपुर की जनता ने चंद्रभानु पासवान के रूप में एक नए और युवा चेहरे को चुना। सियासत में चंद्रभानु पासवान नए नहीं हैं वो अलग बात है कि वो मीडिया की चमक-दमक से दूर रहते थे। मिल्कीपुर की जनता ने चंद्रभानु पासवान पर जमकर प्यार लुटाया और उन्हें कुल 1,45,893 वोट मिले। आइए आपको बताते हैं कि कौन हैं चंद्रभानु पासवान और क्या है उनका पारिवारिक कारोबार।
अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने अपने निकटतम प्रत्याशी और सपा उम्मीदवार अजीत प्रसाद को 61,639 मतों से करारी शिकस्त दी है।
चंद्रभानु पासवान मौजूदा समय भारतीय जनता पार्टी की जिला कार्यसमिति के सदस्य हैं इसके पहले वो पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के संपर्क प्रमुख बनाए गए थे। 3 अप्रैल 1986 को पैदा हुए चंद्रभानु पासवान रुदौली के परसौली गांव के निवासी हैं। इन्होंने बी-कॉम करने के बाद एम-कॉम और फिर उसके बाद लॉ की पढ़ाई की। इनका पारिवारिक कारोबार पेपर और कपड़ों का है।
पत्नी हैं जिला पंचायत सदस्य
चंद्रभानु पासवान की पत्नी कंचन पासवान रुदौली की चतुर्थ सीट से साल 2021 में जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं थीं। इस चुनाव में उन्हें पूरे जिले में सबसे ज्यादा 11,382 वोट मिले थे।
वहीं इसके पहले रुदौली पंचम की सीट से वो साल 2015 में भी 8396 वोटों के साथ सबसे ज्यादा वोट पाने वाली जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं थीं। चंद्रभानु पासवान के पिता बाबा राम लखन दास साल 2021 में ग्राम प्रधान चुने गए थे। चंद्रभानु पासवान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़ाव रखते हैं।
दर्जन भर दावेदारों को पीछे छोड़कर मिला था टिकट
इसके पहले मिल्कीपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव में बीजेपी की ओर से टिकट के दावेदारी में दर्जनों नाम आगे आए थे। इन सभी नामों को पीछे छोड़ते हुए चंद्रभानु पासवान ने बाजी मारी और उन्हें मिल्कीपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया गया।
इन दावेदारों में से दो बार के पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा और रामू प्रियदर्शी के नाम भी शामिल थे। इस सीट के लिए बीजेपी की ओर से उपपरिवहन आयुक्त सुरेंद्र कुमार को भी प्रबल दावेदार माना जा रहा था।