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कारगिल शहीद कैप्टन मनोज पांडेय: गोली लगने पर रेंगते हुए पाकिस्तान का चौथा बंकर किया तबाह, ऐसी है परमवीर चक्र विजेता की कहानी

25 जून 2025 को कैप्टन मनोज पांडेय की 50वीं जयंती पर हम कारगिल के इस वीर को सलाम करते हैं। 1999 के कारगिल युद्ध में इस परमवीर चक्र विजेता ने खालूबार चोटी पर गजब का साहस दिखाया। सिर्फ 24 साल की उम्र में गोली लगने के बाद भी खून बहते हुए वे रेंगकर पाकिस्तान का […]

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इमरजेंसी के 50 साल: इंदिरा गांधी के फैसले ने लोकतंत्र पर लगाया ताला, देश ने झेला सत्ता का अत्याचार

25 जून 2025, आज वह दिन है जब हम स्वतंत्र भारत के इतिहास के सबसे काले अध्याय इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ को याद करते हैं। 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने एक ऐसा फैसला लिया, जिसने भारत के लोकतंत्र पर ताला लगा दिया। अगले 21 महीनों तक देश ने सत्ता के अत्याचारों का ऐसा

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24 जून: दामोदर चापेकर जयंती, वामपंथी साजिश को तोड़ा, स्वतंत्रता की मशाल जलाई

24 जून, वह दिन जब भारत माता की गोद में एक ऐसे क्रांतिकारी का जन्म हुआ, जिन्होंने अंग्रेजी गुलामी की जंजीरों को तोड़ने की ठान ली। दामोदर हरि चापेकर, जिनके नाम से अंग्रेजी हुकूमत कांप उठी, वह वीर थे जिन्होंने 1897 में अत्याचारी प्लेग कमिश्नर वाल्टर चार्ल्स रेंड का अंत कर स्वतंत्रता की पहली चिंगारी

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एक हाथ में प्लास्टर, दूसरे में मशीन गन, सामने 700 दुश्मन… देश के पहले परमवीर चक्र विजेता सोमनाथ शर्मा जी की दास्तां

1947 का नवंबर, जब कश्मीर की वादियां दुश्मन की साजिशों से दहल रही थीं, एक सच्चा शूरवीर अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए खड़ा हुआ। मेजर सोमनाथ शर्मा, भारत के पहले परमवीर चक्र विजेता, ने एक हाथ में प्लास्टर और दूसरे में मशीन गन थामकर 700 दुश्मनों को ऐसा सबक सिखाया कि उनकी रूह कांप

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कैप्टन विक्रम बत्रा: कारगिल युद्ध का वो नायक जिसने पाकिस्तान के उड़ा दिए होश, शहीद होने के बाद भी दिलों में हैं जिन्दा

1999 की सर्द जुलाई, जब कारगिल की बर्फीली चोटियां गोलियों और बारूद की गंध से गूंज रही थीं, एक युवा योद्धा ने अपनी अदम्य वीरता से दुश्मन के दिल में खौफ बिठा दिया। कैप्टन विक्रम बत्रा, जिन्हें “शेरशाह” के नाम से जाना जाता है, कारगिल युद्ध के उस नायक थे, जिन्होंने पाकिस्तानी घुसपैठियों को धूल

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21 जून: पूज्य डॉ. हेडगेवार की पुण्यतिथि, जिनका लगाया ‘संघ’ रूपी बीज आज राष्ट्रभक्ति की छांव दे रहा है

21 जून का दिन भारत के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है। यह वह दिन है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक और प्रथम सरसंघचालक, परम पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की पुण्यतिथि मनाई जाती है। डॉ. हेडगेवार, जिन्हें प्यार से ‘डॉक्टर जी’ कहा जाता है, ने 1925 में एक छोटा सा बीज

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हल्दीघाटी का शेर: महाराणा प्रताप की अडिग वीरता की गाथा

जब मुगल बादशाह अकबर की तलवारें हिंदुस्तान को अपने अधीन करने की साजिश रच रही थीं, तब मेवाड़ की पवित्र भूमि पर एक ऐसा योद्धा खड़ा हुआ, जिसने न केवल अपनी तलवार से, बल्कि अपने अडिग स्वाभिमान से इतिहास के पन्नों को स्वर्णिम कर दिया। महाराणा प्रताप, जिन्हें हल्दीघाटी का शेर कहा जाता है, वह

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जाटों का शौर्य: भरतपुर में मुगलों के विरुद्ध अमर संग्राम की गाथा

जब मुगल साम्राज्य की तलवारें हिंदुस्तान की धरती पर खून की होली खेल रही थीं, तब भरतपुर के जाट वीरों ने अपनी माटी के सम्मान और धर्म की रक्षा के लिए वह इतिहास रचा, जो आज भी हर भारतीय के रोंगटे खड़े कर देता है। 18वीं सदी में, जब मुगल बादशाह अपनी सत्ता की आग

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बैटल ऑफ हाइफा: हिंदुस्तानी तलवारों ने चुप कराईं तुर्क बंदूकें, इजरायल आज भी करता है मेजर दलपत सिंह शेखावत को सलाम

बैटल ऑफ हाइफा: हिंदुस्तानी तलवारों ने चुप कराईं तुर्क बंदूकें, इजरायल आज भी करता है मेजर दलपत सिंह शेखावत को सलाम

23 सितंबर 1918, प्रथम विश्व युद्ध का दौर। इजरायल का हाइफा शहर तुर्की और जर्मन सेनाओं के कब्जे में था। उनके पास मशीनगनें, तोपें और आधुनिक हथियार थे, जबकि भारत के जोधपुर लांसर्स के पास केवल तलवारें, भाले और अडिग साहस। फिर भी, मेजर दलपत सिंह शेखावत के नेतृत्व में भारतीय घुड़सवारों ने हाइफा को

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17 जून : राजमाता जीजाबाई, भारतवर्ष की वो महान नारी शक्ति जिनके संस्कारों के कारण शिवाजी बन सके हिंदवा सूर्य छत्रपति शिवाजी

भारतवर्ष की पवित्र धरती ने अनेक वीरांगनाओं को जन्म दिया, जिन्होंने अपने साहस, त्याग और संस्कारों से इतिहास के पन्नों को स्वर्णिम बनाया। इनमें सर्वोपरि हैं राजमाता जीजाबाई, जिनकी मातृशक्ति और दृढ़ संकल्प ने न केवल एक पुत्र को जन्म दिया, बल्कि एक युगपुरुष, हिंदवा सूर्य छत्रपति शिवाजी महाराज को गढ़ा। जीजाबाई वह दीपशिखा थीं,

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