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उत्तराखंड का वो वीर योद्धा जिसने अकेले 300 चीनी सैनिकों को कर दिया ढेर, शहीद के बाद भी मिला प्रमोशन… जानें जसवंत सिंह रावत की कहानी

भारत की धरती वीरों की जननी है और इन वीरों में राइफलमैन जसवंत सिंह रावत का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा है। उत्तराखंड के इस सपूत ने 1962 के भारत-चीन युद्ध में ऐसा साहस दिखाया, जो इतिहास में अमर हो गया। अकेले 300 चीनी सैनिकों को ढेर करने और गोलियाँ लगने के बावजूद लड़ते रहने […]

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देश विरोधी विपक्षियोंं को चेतावनी: ‘मोदी जायेगा’ का इंतज़ार तुम्हें मरने नहीं देगा, ‘योगी आयेगा’ का ख़ौफ़ जीने नहीं देगा

भारत एक ऐसा देश है, जहाँ गर्व, शौर्य और धर्म की परंपरा सदियों से जीवित है। आज हम एक ऐसे दौर में हैं, जहाँ देश को मजबूत करने वाले नेता, जैसे नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ, हिंदू गौरव और राष्ट्रीय एकता की मशाल थामे हैं। लेकिन, इस सबके बीच कुछ देश विरोधी विपक्षी ताकतें हैं,

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ज्ञानवापी का धर्म युद्ध: हिंदू राजाओं का बलिदान, औरंगजेब की क्रूरता और वामपंथी षड्यंत्र का अंत

ज्ञानवापी, वाराणसी का वह पवित्र स्थल, हिंदू धर्म की आत्मा और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। यह काशी विश्वनाथ मंदिर का हिस्सा है, जिसका इतिहास प्राचीन काल से शुरू होता है। सम्राट विक्रमादित्य से लेकर मराठा शासकों तक, कई हिंदू राजाओं ने इस मंदिर को बनवाने और बचाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

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बाजीप्रभु देशपांडे: बलिदान दिवस पर नमन, जिन्होंने मुट्ठी भर सैनिकों से हजारों आक्रांताओं का वध कर बलिदान दिया

बाजीप्रभु देशपांडे मराठा इतिहास के उन वीर योद्धाओं में शामिल हैं, जिन्होंने अपने साहस से एक अमर गाथा रची। पावन खिंड की लड़ाई में उन्होंने मुट्ठी भर सैनिकों के साथ हजारों मुगल आक्रांताओं का सामना किया, ताकि छत्रपति शिवाजी महाराज को विशालगढ़ तक सुरक्षित पहुँचाया जा सके। “हर हर महादेव” की गूंज के साथ चली

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तंजावुर के ब्राह्मण: मराठा साम्राज्य में ज्ञान और शौर्य के संरक्षक, जिन्होंने साहित्य को समृद्ध किया, प्रशासन को मजबूत बनाया और हिंदू संस्कृति का आधार रखा

तंजावुर के ब्राह्मण मराठा साम्राज्य के इतिहास में एक अनमोल धरोहर हैं। 1675 में व्यंकोजी भोंसले ने तंजावुर में मराठा शासन की नींव रखी, और इन ब्राह्मणों ने ज्ञान, शौर्य, और संस्कृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये विद्वान न केवल धार्मिक गुरु थे, बल्कि प्रशासनिक सलाहकार और साहित्यिक संरक्षक भी बने। व्यंकोजी के

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भीमदेव सोलंकी: शिव का परम भक्त सम्राट, जिसकी तलवार से गजनवी कांपा और जिसने सोमनाथ मंदिर की रक्षा की

भीमदेव सोलंकी, जो चालुक्य वंश के महान सम्राट थे, हिंदू शौर्य और शिव भक्ति का प्रतीक हैं। उनका जन्म 1022 में हुआ और वे गुजरात के प्रथम शक्तिशाली शासक बने। वे भगवान शिव के परम भक्त थे, जिन्होंने अपनी तलवार से शत्रुओं को परास्त किया। महमूद गजनवी के आक्रमणों के बाद भीमदेव ने सोमनाथ मंदिर

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हेमचंद्र विक्रमादित्य: हिंदू शौर्य का महान योद्धा, जिन्होंने पानीपत में मुगलों से लोहा लिया और दिल्ली पर विजय पाई

हेमचंद्र विक्रमादित्य, जिन्हें हेमू के नाम से जाना जाता है, हिंदू शौर्य का एक अनुपम प्रतीक थे। 16वीं सदी में उन्होंने मुगल सत्ता को चुनौती दी और दिल्ली पर कब्जा किया। उनका जन्म 1501 में आलवर, राजस्थान के निकट हुआ था, जहाँ उनके पिता पूरन दास एक हिंदू पुजारी थे। हेमू ने अपनी शुरुआत एक

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सरदार हरि सिंह नलवा: वो योद्धा, जिनके खौफ से अफगानी सलवार पहनते थे और जिनकी तलवार ने हिंद की सीमाओं की रक्षा की

हरि सिंह नलवा का नाम सिख इतिहास में एक अजेय योद्धा के रूप में गूंजता है। 19वीं सदी में उन्होंने अफगान आक्रमणकारियों को हराया और हिंद की सीमाओं की रक्षा की। कहा जाता है कि उनके नाम का खौफ इतना था कि अफगानी डर से सलवार बदलने को मजबूर हो जाते थे। उनकी तलवार ने

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कश्मीर की शौर्यगाथा: अरब आक्रांतों के खिलाफ ललितादित्य को एक वैश्य से मिली सहायता, हिंदू धर्म की रक्षा में किया दान

कश्मीर के इतिहास में एक गौरवशाली अध्याय है जब ललितादित्य मुक्तापीड़ ने अरब आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया। इस युद्ध में वैश्य वसुधर ने धन और संसाधन देकर राजा का साथ दिया। यह वैश्य समुदाय का त्याग हिंदू धर्म की रक्षा का प्रतीक बना। कश्मीर की घाटियों में लड़े गए इस संघर्ष ने हिंदू अस्मिता

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7 जुलाई: कारगिल वॉर में पाकिस्तान को आखिरी सांस तक चटाई धूल… और भारत मां की गोद में हमेशा के लिए सो गए कैप्टन विक्रम बत्रा

7 जुलाई 2025 को हम कारगिल के शेर कैप्टन विक्रम बत्रा के बलिदान दिवस को याद करते हैं। उनका जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश में हुआ था। वे भारतीय सेना में शामिल हुए और 1999 के कारगिल युद्ध में वीरता दिखाई। Vikram Batra के ‘यह दिल मांगे मोर’ नारे ने कारगिल में हाई

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