Sankalp

जब भारत अडिग खड़ा रहा: गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य का उदय

जब उत्तर भारत बिखराव के कगार पर था और विदेशी आक्रमणकारी उसकी ओर बढ़ रहे थे, तब किसी प्रसिद्ध सम्राट या पौराणिक नायक ने नहीं, बल्कि एक कम-ज्ञात गुर्जर राजा नागभट्ट प्रथम ने परिस्थितियों का सामना किया। उनकी विजय ने भारत की दिशा बदल दी, फिर भी उनका नाम हमारे इतिहास में बहुत कम दिखता […]

जब भारत अडिग खड़ा रहा: गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य का उदय Read More »

आतंक आम लोगों को निशाना बनाता है, जबकि VVIP को मिलती है Z+ सुरक्षा

सड़क से लेकर आतंकवादी हमले तक आम आदमी और VVIP की जान की कीमत अलग क्यों?

धुआँ छँटने और सायरनों की आवाज़ धीमी होने से पहले ही दिल्ली बदल चुकी थी। वजह सिर्फ धमाका नहीं था—बल्कि यह कि आम लोग—मज़दूर, छात्र, माता-पिता—उन गलतियों की कीमत अपनी जान देकर चुका गए, जिन्हें उन्होंने कभी पैदा ही नहीं किया। 10 नवंबर 2025 की शाम राजधानी दिल्ली के इतिहास में एक और काला दिन

सड़क से लेकर आतंकवादी हमले तक आम आदमी और VVIP की जान की कीमत अलग क्यों? Read More »

अटूट श्रद्धा: युगों-युगों से नंदी की निश्चल पहरेदारी

‘युगों से मैं यहीं खड़ा हूँ—अचल, निश्चल।’ ‘सदियों से मैं यहाँ बैठा हूँ, बिना पलक झपकाए। मेरी दृष्टि उसी स्थान पर टिकी है जहाँ मेरे प्रभु रहा करते थे। मैं नंदी हूँ—महादेव का अनंत प्रहरी, काशी का मौन साक्षी। साम्राज्य उठे और मिट गए, गंगा का स्वर बदल गया, पर मेरी भक्ति नहीं बदली। मुझे

अटूट श्रद्धा: युगों-युगों से नंदी की निश्चल पहरेदारी Read More »

पारसी: प्राचीन फ़ारस से भारत तक आस्था और पहचान का महान सफ़र

पारसी, एक विशिष्ट धार्मिक और सांस्कृतिक समुदाय हैं, जिनकी जड़ें प्राचीन जोरोआस्ट्रियन धर्म (ज़रतुश्त्र मत) में हैं — जो मानव इतिहास के सबसे प्राचीन एकेश्वरवादी धर्मों में से एक है। संख्या में छोटे, लेकिन प्रभाव में विशाल — पारसी समुदाय का भारत पर प्रभाव उनकी जनसंख्या से कहीं अधिक रहा है। सन् 2025 तक विश्वभर

पारसी: प्राचीन फ़ारस से भारत तक आस्था और पहचान का महान सफ़र Read More »

राजराज चोल प्रथम और चोल साम्राज्य की विरासत: आस्था, शक्ति और वैश्विक प्रभाव

चोल केवल तलवार और शासन से नहीं, बल्कि श्रद्धा और भक्ति से राज करते थे। उनका साम्राज्य केवल भूमि और व्यापार पर नहीं, बल्कि अनुशासन, आस्था और उन दिव्य मंदिरों पर टिका था, जो आज भी पत्थरों में गूँजी हुई प्रार्थना की तरह खड़े हैं। भारतीय इतिहास में चोल साम्राज्य उन दुर्लभ युगों में से

राजराज चोल प्रथम और चोल साम्राज्य की विरासत: आस्था, शक्ति और वैश्विक प्रभाव Read More »

बागेश्वर बाबा

तीर्थ की ज्योति: बागेश्वर बाबा और भारत का आध्यात्मिक जागरण

छतरपुर की संकरी गलियों से लेकर लाखों श्रद्धालुओं से भरे विशाल मंचों तक — यह यात्रा किसी दिव्य नियति जैसी लगती है, जो कभी मंदिर में शांत भाव से सेवा करते थे, आज उनकी आवाज़ पूरे भारत में गूँजती है — लोगों के मनों में विश्वास जगाती, दुख हरती और हृदयों को जोड़ती हुई। लोग

तीर्थ की ज्योति: बागेश्वर बाबा और भारत का आध्यात्मिक जागरण Read More »

व्लादिमीर पुतिन

व्लादिमीर पुतिन: केजीबी अधिकारी से रूस के अजेय शासक तक

युद्ध के बाद के लेनिनग्राद की टूटी-फूटी गलियों में एक दुबला-पतला, तेज़ निगाहों वाला लड़का सत्ता का पहला सबक किताबों से नहीं, बल्कि सड़कों से सीख रहा था। दीवारों में दरारें थीं, गलियों में चूहे भागते थे, बच्चे खाने के टुकड़ों के लिए लड़ते थे और जीना मतलब था — पहले वार करो, वरना मिट

व्लादिमीर पुतिन: केजीबी अधिकारी से रूस के अजेय शासक तक Read More »

सरदार वल्लभभाई पटेल: भारत की एकता के लौह पुरुष

जब साम्राज्य बिखर रहे थे, नक्शे बदल रहे थे और एकता की उम्मीद कमजोर पड़ रही थी — तब एक व्यक्ति ऐसा था जिसने हार मानने से इंकार कर दिया। उसने हथियार नहीं उठाया, फिर भी उसने राज्यों को जीता; उसने सत्ता नहीं चाही, फिर भी उसने एक राष्ट्र खड़ा कर दिया। वही थे सरदार

सरदार वल्लभभाई पटेल: भारत की एकता के लौह पुरुष Read More »

सोमनाथ मंदिर: आस्था, विनाश और अनंत पुनर्जन्म का इतिहास

गुजरात के प्रभास पाटन (वेरावल के पास) स्थित सोमनाथ मंदिर केवल भगवान शिव का एक प्राचीन तीर्थ नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक दृढ़ता और सांस्कृतिक निरंतरता का प्रतीक है। बारह पवित्र ज्योतिर्लिंगों में एक, सोमनाथ — अर्थात् ‘चंद्र के स्वामी’ — न केवल एक दैवी स्थल है, बल्कि भारत की उस जीवटता की कहानी भी है

सोमनाथ मंदिर: आस्था, विनाश और अनंत पुनर्जन्म का इतिहास Read More »

लुप्त हुई आबादी: कैसे विभाजन ने पाकिस्तान से हिंदुओं को मिटा दिया

लुप्त हुई आबादी: कैसे विभाजन ने पाकिस्तान से हिंदुओं को मिटा दिया

1947 का भारत विभाजन केवल एक राजनीतिक घटना नहीं था — यह सभ्यता का गहरा घाव था। इसने परिवारों को तोड़ दिया, समाजों को नष्ट कर दिया, और दक्षिण एशिया के नक्शे को खून से रंग दिया। परंतु इस दुखद इतिहास में एक ऐसा अध्याय है, जिसके बारे में बहुत कम बात की जाती है

लुप्त हुई आबादी: कैसे विभाजन ने पाकिस्तान से हिंदुओं को मिटा दिया Read More »

Scroll to Top