हाल ही में गाजियाबाद में एक बड़े धर्मांतरण मामले का खुलासा हुआ है, जिसमें 12 हिंदू परिवारों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।
इस मामले की जांच के दौरान पुलिस ने जेराल्ड मैथ्यूज मैसी नामक एक पादरी को गिरफ्तार किया, जो इस प्रक्रिया में संलिप्त था। पुलिस ने जब जेराल्ड के घर की तलाशी ली, तो उन्हें वहां ईसाई धर्म से संबंधित किताबें और प्रचार सामग्री मिली, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह धर्मांतरण एक संगठित प्रयास के तहत किया जा रहा था।
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने धर्मांतरण के लिए पैसे का लालच दिया और लोगों को एक बाइबिल और प्रचार सामग्री वितरित की। इस संबंध में जांच के दौरान पता चला कि ऐसे धर्मांतरण की प्रक्रियाओं का वीडियो भी बनाया गया था, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। यह वीडियो न केवल मामले की गंभीरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि ऐसे कार्यों में योजनाबद्ध तरीके से किया जा रहा था।
गर्मियों में धर्मांतरण के इस खेल के पीछे विदेशी फंडिंग का मामला भी सामने आया है। महेंद्र नामक एक व्यक्ति और उसकी पत्नी पर आरोप है कि वे गरीब लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। यह दर्शाता है कि धर्मांतरण के इस खेल में केवल धर्म का परिवर्तन ही नहीं, बल्कि आर्थिक लाभ की भी भूमिका है। गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को धर्मांतरण के लिए लुभाना एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो धर्म और विश्वास के मूल्यों को चुनौती देती है।
पुलिस ने इस मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है, जिसमें बैंक खातों की जांच भी शामिल है। इससे पहले भी गाजियाबाद और आसपास के इलाकों में धर्मांतरण के ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि यह कोई नया मामला नहीं है। इसकी जड़ें समय के साथ और गहरी होती जा रही हैं। ऐसे मामलों में अक्सर गरीब वर्ग के लोगों को अपना धर्म बदलने के लिए मजबूर किया जाता है, जो सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को बढ़ाता है।
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने भी इसमें रुचि दिखाई है। एनआईए की जांच विदेशी फंडिंग के संदर्भ में सच सामने लाने में मदद कर सकती है। यह महत्वपूर्ण है कि ऐसे मामलों की गहराई से जांच की जाए, ताकि धर्मांतरण के पीछे की असलियत और इसके संगठित प्रयासों का पता लगाया जा सके।
सामाजिक और धार्मिक विविधता हमारे देश की विशेषता है, लेकिन जब धर्मांतरण के मामलों में पैसे का लेन-देन और धोखाधड़ी का मामला आता है, तो यह गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। ऐसे मामलों से न केवल एक समुदाय में तनाव बढ़ता है, बल्कि इससे सामाजिक संतुलन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, यह आवश्यक है कि पुलिस और जांच एजेंसियां इस मामले को गंभीरता से लें और धर्मांतरण के सभी पहलुओं की विस्तृत जांच करें। समाज में एकता और भाईचारे को बनाए रखने के लिए यह बेहद जरूरी है कि धर्म के नाम पर हो रहे ऐसे अनैतिक कार्यों पर कड़ा अंकुश लगाया जाए।