‘जो दिखे उसे काट दो, मस्जिदों से किया गया था ऐलान’, बहराइच हिंसा में घायल बुजुर्ग का दावा, बताया कैसे शुरू हुआ बवाल

बहराइच के महराजगंज कस्बे में हुई हिंसा में कई लोग घायल हुए हैं. इन्हीं में से विनोद मिश्रा और उनके दिव्यांग भाई सत्यवान मिश्रा का नाम भी शामिल है. एक भाई के हाथ में प्लास्टर में चढ़ा हुआ है तो दूसरे के चेहरे पर अभी तक घाव है. इलाज के लिए उन्हें लखनऊ रेफर किया गया था. हालांकि, अब वे अपने घर लौट आए हैं.

विनोद और सत्यवान के मुताबिक, हम दोनों भाई हिंसा के वक्त मूर्ति विसर्जन में डीजे के ठीक पीछे मौजूद थे. हर एक चीज अपनी आंखों से देखी है. मंजर बहुत भयावह था, पत्थरबाजी में किसी का सिर फट गया तो किसी का हाथ टूट गया. मस्जिद से ऐलान किया जा रहा था

कैसे शुरू हुआ बवाल?

बहराइच हिंसा में घायल गए विनोद मिश्रा और सत्यवान मिश्रा बताते हैं कि डीजे पर बज रहे गाने को लेकर अब्दुल हमीद के परिवार की तरफ से आपत्ति जताई गई थी. गाना रोकने के लिए कहा गया था. नहीं रोकने पर डीजे वाले को गालियां बकी, झापड़ मारा, लीड खींच ली, उसके बाद दुर्गा जी की प्रतिमा पर पत्थरबाजी शुरू कर दी. जिससे मूर्तियां खंडित हो गईं.

विनोद मिश्रा पेशे से अध्यापक थे. हिंसा में उनका हाथ टूट गया. सिर भी फट गया. उन्होंने कहा कि बवाल के वक्त ऐसा लग रहा था कि बच नहीं पाऊंगा. बवाल में उनके भाई सत्यवान जो 90 प्रतिशत दिव्यांग हैं, उनको भी नहीं छोड़ा गया. वह भी बुरी तरह घायल हो गए.

बवाल बढ़ा तो मस्जिदों से ऐलान किया गया:

पीड़ित विनोद और उनके भाई का दावा है कि जब बवाल बढ़ा तो मस्जिदों से ऐलान किया गया कि “जो दिखे उसे काट दो” इसके बाद भारी संख्या में समुदाय विशेष के लोग तलवार और डंडे लेकर सड़क पर निकल आए. उधर, शोभा यात्रा में जा रही भीड़ भी उग्र हो गई थी. इसके बाद हिंसा काफी बढ़ गई.

मिश्रा भाइयों ने कहा कि हमें अभी तक न्याय नहीं मिला. पुलिस ने इस मामले में एफआईआर तक नहीं दर्ज की है. अब्दुल हमीद के परिवार की भीड़ हमारे घर में दाखिल होना चाह रही थी. वहीं, हमीद के घर में घुसने के सवाल पर बताया कि लोग रामगोपाल मिश्रा को बचाने के लिए घर में घुसे थे, ताकि उसे जिंदा बचाया जा सके. मगर पत्थरबाजी बंद नहीं हुई. जिस वजह से बचाने गए लोग भी चोटिल हो गए.

इलाके में भारी फोर्स तैनात मालूम हो कि बहराइच के महाराजगंज कस्बे में 13 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान विवाद हुआ, जिससे हिंसा भड़क गई. इस दौरान रामगोपाल मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी गई. जिसके बाद अगले दिन भी महाराजगंज में फिर से हिंसा हुई और उपद्रवियों ने दुकानों और घरों में आग लगा दी.

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