उत्तराखंड के हल्द्वानी में गुरुवार, 9 फरवरी को भड़की हिंसा ने पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। नगर निगम द्वारा कथित तौर पर “अवैध” मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त करने के बाद स्थानीय लोगों का विरोध उग्र हो गया, जिसने हिंसक झड़प का रूप ले लिया। इस घटना में अब तक 2 लोगों की दुखद मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं।
हालांकि, हल्द्वानी हिंसा की गंभीरता यहीं खत्म नहीं होती। नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने इस घटना के पीछे एक बड़े षड्यंत्र का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि कुछ असामाजिक तत्वों ने इस घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की और सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट वायरल कर लोगों को उकसाया। डीएम ने यह भी कहा कि हिंसा भड़काने के लिए कुछ लोगों को पैसे भी दिए गए थे।
हल्द्वानी में तनावपूर्ण माहौल:
- 9 फरवरी 2024 को, हल्द्वानी के बनभूलपुरा थाना क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस और प्रशासन की टीम पहुंची।
- कथित तौर पर, इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ ने पुलिस-प्रशासन पर हमला बोल दिया, जिसमें पत्थरबाजी और पेट्रोल-बम भी शामिल थे।
- पुलिस ने लाठीचार्ज और हवाई फायरिंग की, जिसके बाद हिंसा भड़क गई।
- इंटरनेट बंद है, कर्फ्यू लागू है और उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं।
हिंसा का भयानक परिणाम:
- 6 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जिसमें एक पिता-पुत्र की जोड़ी भी शामिल है।
- 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें पुलिसकर्मी और अधिकारी भी शामिल हैं।
- हल्द्वानी के एसडीएम, कालाढूँगी की एसडीएम, तहसीलदार और सीओ स्पेशल ऑपरेशन समेत 200 से अधिक पुलिसकर्मी घायलों में शामिल हैं।
हिंसा की जड़:
- प्रशासन का दावा है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई कोर्ट के आदेश पर की गई थी।
- स्थानीय लोगों का दावा है कि उनके पास जमीन के वैध दस्तावेज हैं और वे दशकों से वहां रह रहे हैं।
- कुछ राजनीतिक दल इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास कर रहे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया:
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाई लेवल मीटिंग बुलाई और पुलिस अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिए।
- दंगा प्रभावित क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
- उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया गया है।
- पूरे राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।