बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने अपने 68वें जन्मदिन पर एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होगी। मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी अब किसी भी पार्टी को फ्री में समर्थन नहीं देगी।
मायावती ने अपने जन्मदिन पर पार्टी मुख्यालय पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “आगामी लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होगी। हम अकेले ही चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे। हमारी पार्टी अब किसी भी पार्टी को फ्री में समर्थन नहीं देगी।”
मायावती ने कहा कि उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि पहले भी जब उनकी पार्टी ने किसी गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ा है तो उसे उसका उचित परिणाम नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अब अपना जनाधार बढ़ाने पर ध्यान देगी और अकेले ही चुनाव लड़ कर जीत हासिल करेगी।
मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी का लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव में कम से कम 50 सीटें जीतना है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश में मजबूत है और वहां से 30 से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद है।
मायावती के इस फैसले से भारतीय राजनीति में हलचल मच गई है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती का यह फैसला आगामी लोकसभा चुनाव में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
मायावती के इस फैसले के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ही दलों को झटका लगा है। दोनों ही दल मायावती से गठबंधन करना चाहते थे। लेकिन मायावती के इस फैसले के बाद दोनों ही दलों को अकेले ही चुनाव लड़ना पड़ेगा।
मायावती के इस फैसले से उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी बदलाव देखने को मिल सकता है। मायावती के अकेले चुनाव लड़ने से उत्तर प्रदेश में सत्ता की लड़ाई में मुकाबला बढ़ सकता है।
मायावती के इस फैसले के पीछे की वजहें
मायावती के इस फैसले के पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं। एक वजह यह है कि पहले भी जब उनकी पार्टी ने किसी गठबंधन में शामिल होकर चुनाव लड़ा है तो उसे उसका उचित परिणाम नहीं मिला है। उदाहरण के लिए, 2019 के लोकसभा चुनाव में BSP ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन उसे केवल 10 सीटें ही मिली थीं।
दूसरी वजह यह है कि मायावती अब अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने पर ध्यान देना चाहती हैं। वह अकेले चुनाव लड़कर अपनी पार्टी की ताकत का प्रदर्शन करना चाहती हैं।
तीसरी वजह यह है कि मायावती अब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ही दलों से नाराज हैं। वह इन दोनों दलों पर आरोप लगाती हैं कि इन दलों ने उनकी पार्टी का गलत फायदा उठाया है।
मायावती के इस फैसले का असर
मायावती के इस फैसले का भारतीय राजनीति पर कई तरह से असर पड़ सकता है। एक तो यह कि यह फैसला आगामी लोकसभा चुनाव में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।
दूसरा यह कि यह फैसला उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी बदलाव ला सकता है। मायावती के अकेले चुनाव लड़ने से उत्तर प्रदेश में सत्ता की लड़ाई में मुकाबला बढ़ सकता है।
तीसरा यह कि यह फैसला कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों ही दलों को नुकसान पहुंचा सकता है। दोनों ही दलों को अकेले ही चुनाव लड़ना पड़ेगा, जिससे उन्हें नुकसान हो सकता है।