पश्चिम बंगाल: राजनीतिक उथल-पुथल का तूफान
पश्चिम बंगाल इन दिनों राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में बना हुआ है। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी दलों की निगाहें इस राज्य पर टिकी हुई हैं, खासकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए पश्चिम बंगाल को जीतना एक बड़ी चुनौती है।
जहां एक ओर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार लगातार विवादों और आरोपों से घिरी हुई है, वहीं दूसरी ओर भाजपा पूरी ताकत से पश्चिम बंगाल में अपनी पैठ बनाने का प्रयास कर रही है।
पीएम मोदी का सीधा हमला:
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने टीएमसी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के शासनकाल में पश्चिम बंगाल का नाम लगातार खराब हुआ है।
राज्य सरकार की हर योजना में भ्रष्टाचार के आरोप सामने आ रहे हैं, गरीबों के हक छीने जा रहे हैं, और केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं पर भी टीएमसी अपना स्टीकर लगाकर श्रेय लेने की कोशिश करती है। उन्होंने विवादित “तृणमूल कांग्रेस” पार्टी के नाम का तंज भरा अर्थ निकालते हुए कहा कि अब इसका मतलब “तू, मैं और करप्शन” हो गया है।
अपने भाषण में पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह धरती भगवान श्रीकृष्ण की लीला भूमि है, और चैतन्य महाप्रभु की जन्मस्थली है। उन्होंने हाल ही में समुद्र की गहराई में जाकर द्वारका नगरी के दर्शन का भी उल्लेख किया।
संदेशखाली मामला और बढ़ती मुश्किलें:
पीएम मोदी के इस हमले के अलावा, ममता बनर्जी सरकार को कई अन्य मोर्चों पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में, टीएमसी के वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और पार्टी के महासचिव सुदीप बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए।
उन्होंने ईडी और सीबीआई से सुदीप बनर्जी के बैंक खातों की जांच कराने की मांग की। इसके अलावा, भाजपा लगातार संदेशखाली कांड को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर हमलावर है। इस मामले में पुलिस द्वारा किए गए कार्यों पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
अनिश्चित भविष्य:
पश्चिम बंगाल में आने वाले दिनों में राजनीतिक उथल-पुथल का तूफान थमने की संभावना कम ही दिखाई देती है। आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा आक्रामक रुख अपनाएगी और ममता बनर्जी सरकार पर दबाव बढ़ाएगी। वहीं, दूसरी ओर टीएमसी सरकार अपने बचाव में हर संभव प्रयास करेगी।
कुणाल घोष के इस्तीफे और सुदीप बनर्जी के खिलाफ लगे आरोपों का टीएमसी पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना बाकी है। कुल मिलाकर, पश्चिम बंगाल निकट भविष्य में राष्ट्रीय राजनीति के केंद्र में बना रहने की उम्मीद है।